दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को हुए मतदान में कई ऐसे लोगों ने भी पहली बार अपना वोट डाले हैं, जिन्हें यहां हाल ही में नागरिकता मिली है। 30 वर्षीय राधे कृष्ण आडवाणी, जो पाकिस्तान से आए हिंदू अप्रवासी हैं, ने भारतीय नागरिकता मिलने के बाद पहली बार दिल्ली में मतदान किया। उनके लिए यह सिर्फ एक वोट डालने का मौका नहीं था, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत जैसा था। वोट डालने के बाद उन्होंने गर्व से कहा, “आज हमें सच में भारतीय होने का अहसास हो रहा है।”
राधे उन हजारों पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासियों में से एक हैं, जो लंबे समय से भारत में बसने का सपना देख रहे थे। 2013 में वे अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे। वे दिल्ली के मजनू का टीला और आदर्श नगर में बने शिविरों में रह रहे हैं, जहां उनके जैसे कई और लोग बसे हुए हैं।
यह पहली बार था जब उन्हें भारत में अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, “मैंने पाकिस्तान में कभी मतदान नहीं किया था। लेकिन जब हम दिल्ली आए, तो यह हमें घर जैसा महसूस हुआ। आज, जब हमने मतदान किया, तो सच में लगा कि अब हम भारत का हिस्सा हैं।”
भारत में एक नई शुरुआत
राधे एक मोबाइल रिपेयर शॉप में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनके जैसे कई अप्रवासी दिल्ली में छोटे-मोटे काम करके अपना जीवनयापन कर रहे हैं। हालांकि, नागरिकता मिलने के बाद भी उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनके क्षेत्र में बिजली के बढ़े हुए बिल और बार-बार घर खाली करने के नोटिस जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।
पहली बार मतदान करने वाले इन अप्रवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन था, जिसने उन्हें न सिर्फ कानूनी रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी भारत से जोड़ दिया। अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान देगी और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करेगी।
अप्रवासियों को मिला मतदान का अधिकार
बुधवार को मजनू का टीला में रहने वाले 150 से अधिक पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासियों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया। पिछले साल नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत उन्हें भारतीय नागरिकता दी गई थी। इस प्रक्रिया की शुरुआत पिछले साल मई में हुई थी, जब 14 अप्रवासियों को पहली बार नागरिकता मिली थी।
राधे का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं ने उनके और उनके परिवार के लिए वोटर आईडी कार्ड बनवाने में मदद की। हालांकि, उनकी मां, पत्नी और घर की अन्य महिलाओं को अब तक वोटर आईडी नहीं मिल सकी, क्योंकि उनके दस्तावेज देर से जमा हुए थे। उन्होंने बताया, “हमें छह महीने पहले नागरिकता मिली और डेढ़ महीने पहले वोटर आईडी कार्ड।”
बेहतर सुविधाओं की उम्मीद
अब राधे चाहते हैं कि नई सरकार मजनू का टीला और आदर्श नगर के शिविरों में रहने वाले अप्रवासियों की समस्याओं पर ध्यान दे। उन्होंने कहा, “हमारे इलाके में टाटा पावर बिजली की आपूर्ति करती है, लेकिन इसके बिल बहुत महंगे आते हैं। हम चाहते हैं कि हमें भी दिल्ली के अन्य इलाकों की तरह सस्ती बिजली मिले।”
इसके अलावा, शिविर के निवासियों को बार-बार इलाके को खाली करने के नोटिस मिलते हैं, जिससे वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। राधे कहते हैं, “हर कुछ समय में हमें हटाने की धमकी दी जाती है। सरकार को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए।” राधे का कहना है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को देख लिया है और अब बीजेपी को सत्ता में लाना चाहते हैं। उनका मानना है कि “बीजेपी कार्यकर्ता हमारे लिए लगातार काम कर रहे हैं, जबकि AAP ने कुछ नहीं किया।”
उनके भाई लक्ष्मण (21) और पड़ोसी नेहरू लाल (30) ने भी मतदान किया। नेहरू लाल ने कहा, “मतदान करने से हमें एक सच्चे भारतीय जैसा अहसास हुआ।” लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार अप्रवासियों के लिए बेहतर रोजगार के अवसर और उनके बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम करे।
उन्होंने अपील की, “हम दिहाड़ी मजदूर हैं। सरकार से अनुरोध है कि वह हमें बेहतर रोजगार और हमारे बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करे, ताकि हमारा भविष्य सुरक्षित हो सके।” पहली बार मतदान करने वाले इन अप्रवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन था, जिसने उन्हें न सिर्फ कानूनी रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी भारत से जोड़ दिया।