ओडिशा के मलकानगिरी के कलेक्टर रहे मनीष अग्रवाल को अपने PA की हत्या के मामले में हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। अदालत ने माना कि IAS ऑफिसर का PA की हत्या में कोई रोल नहीं है। लेकिन उसकी मौत तो हुई। कोर्ट ने IAS और बाकी लोगों पर खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप के तहत केस चलाने की अनुमति दी। जस्टिस शशिकांता मिश्रा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि मानसिक उत्पीड़न के बाद PA ने खुदकुशी की थी।

मामले के मुताबिक देब नारायण पांडा मलकानगिरी के कलेक्टर मनीष अग्रवाल के PA के तौर पर काम कर रहा था। 27 दिसंबर 2019 को वो अचानक लापता हो गया। एक दिन बाद उसकी लाश एक डैम में मिली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि मौत का कारण डूबना था। शरीर पर कोई भी चोट का निशान नहीं पाया गया था।

PA की पत्नी ने कोर्ट में रिट दायर कर कहा- पति की हत्या हुई

मामले में ट्विस्ट तब आया जब PA की पत्नी ने 13 नवंबर 2020 को मलकानगिरी के SDJM की कोर्ट में रिट दायर कर कहा कि उसके पति की हत्या की गई है। पत्नी ने मनीष अग्रवाल पर हत्या का आरोप लगाया। उसका कहना था कि 27 की सुबह 10 बजे उसका पति कलेक्टर के रेजीडेंस पर गया था। उसके बाद वो कभी नहीं लौटा। डैम से एक दिन बाद उसकी लाश बरामद की गई।

विवेचना के बाद पुलिस ने दाखिल कर दी थी क्लोजर रिपोर्ट

SDJM ने पुलिस को शिकायत भेजते हुए कहा कि मामले की गहन जांच के बाद रिपोर्ट दाखिल की जाए। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देब नारायण की हत्या में कलेक्टर का कोई हाथ नहीं है। पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए मामले को बंद करने की सिफारिश की।

लोअर कोर्ट ने भेजा समन तो कलेक्टर पहुंच गए हाईकोर्ट

अलबत्ता देब नारायण की पत्नी को पुलिस का ये रवैया रास नहीं आया। उसने प्रोटेस्ट एप्लीकेशन दायर करके अपील की कि पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया। वो कलेक्टर के दबाव में थी। लिहाजा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। SDJM ने शिकायत पर गौर करते हुए देब नारायण की पत्नी से अपने दावे के समर्थन में गवाह पेश करने को कहा। पत्नी ने चार गवाह पेश किए जिसके बाद SDJM ने मनीष अग्रवाल को समन भेजा।

IAS ने SDJM के समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस शशिकांता मिश्रा ने तमाम पहलुओं को देखा। इस दौरान ये बात भी सामने आई कि कलेक्टर अपने PA पर उगाही का दबाव डाल रहा था। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हत्या की थ्यौरी को खारिज कर दिया। लेकिन जस्टिस शशिकांता मिश्रा ने कहा कि खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला पहली नजर में ही बनता है। लिहाजा इस आरोप के तहत ट्रायल चलाया जाए।