मैंने लोगों से पूछा है कि वह कौन सी चीज है जो उन्हें सबसे ज्यादा चिंतित करती है। लगभग सभी उत्तरदाताओं ने एक जवाब नहीं दिया, दो या तीन मुद्दे उठाए। यह बात पूरी तरह समझ में आती है। यह कैसे हो सकता है कि एक मां (और गृहिणी) महंगाई की बात करे और अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंता न जताए?
यह कैसे हो सकता है कि एक औद्योगिक श्रमिक नौकरी की सुरक्षा की बात करे और अपने अस्थिर पड़ोस में भीड़ की हिंसा का नाम न ले? यह कैसे हो सकता है कि एक युवा दंपति अपने माता-पिता की स्वीकृति की बात करे और नैतिक ब्रिगेड द्वारा हमले के डर का नाम न ले?
जवाब हमें उन कई समस्याओं की याद दिलाते हैं जो भारत के लोगों को प्रभावित करती हैं। इस चर्चा का कोई औचित्य नहीं है कि ये समस्याएं सदियों से हैं या कई दशकों से। इस तरह की बेरुखी पर मेरा जवाब होगा कि ‘जो अब तक था अगर वह अस्तित्व में रहेगा और कायम रहेगा, तो तीन पीढ़ियों ने स्वतंत्रता और स्वशासन के लिए संघर्ष क्यों किया?’
एकाधिक माॅडल
पिछले 250 वर्षों के दौरान, इस बात की स्वीकार्यता बढ़ी है कि लोगों की सरकार, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए यह सुनिश्चित करने का सबसे पसंदीदा तरीका है कि कोई देश विकास, आर्थिक समृद्धि, मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक उन्नति, समानता और भाईचारे की सीढ़ियां चढ़े। ये लक्ष्य एकल-जातीय (जैसे जापान) से लेकर सबसे बहु-जातीय (जैसे अमेरिका व भारत) तक हर समाज की चुनौती होते हैं। मेरा मानना है कि चुनौती का सामना केवल एक ही तरीके से किया जा सकता है – एकजुट लोगों की सरकार, नि:स्वार्थ लोगों द्वारा और सभी लोगों के लिए।
देशों ने अलग-अलग रास्ते अपनाए हैं। वर्तमान विश्व में, चीन एक-पक्षीय, वर्चस्ववादी सरकार का माडल है; रूस सैन्यवादी, विस्तारवादी माडल है; म्यांमा और कई देश सैन्य तानाशाही माडल सामने रख रहे हैं; ईरान, अफगानिस्तान व अन्य धर्मशासित, धर्म-संक्रमित माडल हैं; संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति सर्वोच्च शक्ति है लेकिन शक्तियों के पृथक्करण और कड़े नियंत्रण और संतुलन के साथ; और यूरोप के अधिकांश देश, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व कनाडा संसदीय लोकतंत्र के ब्रिटिश माडल का पालन करते हैं, जिसमें सरकार संसद के प्रति जवाबदेह होती है।
भारत ने ब्रिटिश माडल का अनुसरण किया। दुनिया के सबसे बहुलवादी और विषमलैंगिक देश के तौर पर, कई नस्लों, धर्मों, जातियों, भाषाओं, इतिहास व संस्कृति और रीति-रिवाजों के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का इससे बेहतर तरीका नहीं था। मेरा मानना है कि ब्रिटिश माडल अभी भी सबसे अच्छा तरीका है।
एकात्मता की परियोजना
वर्तमान शासक – भाजपा, उसके सहयोगी और भाजपा के गुप्त समर्थक – एक बिल्कुल विपरीत माडल पेश करते हैं : वह यह कि भारतीय एक हैं, और हर तरह की अनेकता को इस एकात्मता के तहत समाहित किया जाना चाहिए। वे इस तर्क को दरकिनार कर देते हैं कि एकात्मता की अवधारणा इतिहास और पिछले 75 वर्षों के जीवंत अनुभव के सामने कहीं नहीं टिकती। एकात्मता के सिद्धांत को भाषा, भोजन, पोशाक, सामाजिक व्यवहार और यहां तक कि पर्सनल ला और रीति-रिवाजों तक पर थोप दिया गया।
इसलिए, इस तथ्य के बावजूद हिंदी होगी कि कई भाषाएं ऐसी हैं जो हिंदी से पुरानी हैं और जिनका व्याकरण प्राचीन और साहित्य समृद्ध है। इसलिए,स्कूलों और कालेजों में ड्रेस-कोड और छात्रावासों में भोजन वैसा ही होगा जैसा बहुमत निर्धारित करेगा। बहुसंख्यकवादी आदेश उन कानूनों को खत्म कर देंगे जो अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह की अनुमति देते हैं। नैतिक ब्रिगेड के पास युवा जोड़ों के सामाजिक व्यवहार को विनियमित करने के लिए स्वतंत्र लाइसेंस होगा। एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अल्पसंख्यकों और जनजातीय लोगों के रीति-रिवाजों और पर्सनल ला को निरस्त कर देगी।
इसके अलावा, मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करने के लिए सिर्फ आधार आधारित भुगतान प्रणाली का पालन करना अनिवार्य बनाने के कदम के पीछे एकत्मता का अभियान है। द वायर के मुताबिक, इस योजना की वेबसाइट से 28 अगस्त, 2023 को मिले आंकड़ों से पता चला है कि 14.34 करोड़ नामांकित सक्रिय श्रमिकों में से 11.72 करोड़ श्रमिक ही मजदूरी पाने के योग्य होंगे। लगभग 20 फीसद सक्रिय श्रमिक मजदूरी से वंचित होंगे। याद रखें, वे गरीबों में सबसे गरीब हैं क्योंकि उन्हें उनके घर के पास कोई अन्य काम नहीं मिल रहा है।
एक और उदाहरण है, एकत्मता जो गरीबों को एक देश एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत भोजन तक पहुंच से वंचित करती है। देश में अनुमानित 45 करोड़ आंतरिक प्रवासी हैं, इसके अलावा लगभग 5.4 करोड़ अंतर-राज्यीय प्रवासी हैं। ओएनओआरसी के तहत, आधार से जुड़े राशन कार्ड से कार्डधारक को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान पर राशन लेने में सक्षम बनाया गया है।
इंडियास्पेंड के मुताबिक, सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि 2019 और 2023 के बीच औसतन सालाना केवल 14 लाख अंतर-राज्यीय लेनदेन हुए थे। एक देश योजना पांच करोड़ से अधिक गरीब अंतर-राज्यीय प्रवासियों को भोजन देने में सक्षम क्यों नहीं है? क्योंकि ओएनओआरसी के तहत, कोई ‘राज्य’ जिम्मेदार नहीं है और ‘प्रौद्योगिकी’ जवाबदेह नहीं है।
निर्णायक चरण
एकात्मता की परियोजना के तहत, हम एक निर्णायक चरण में आगे बढ़ रहे हैं। यह होगा एक राष्ट्र, एक चुनाव। विधि आयोग और अन्य समितियों ने बताया है कि इस विचार के लिए बड़े पैमाने पर राजनीतिक और प्रशासनिक आपत्तियों के अलावा कम से कम पांच संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता है। फिर भी, सरकार कठपुतली समिति की नियुक्ति के साथ प्रक्रिया में तेजी ला रही है। लक्ष्य एक चुनाव नहीं है; वास्तविक लक्ष्य है एक ध्रुव – भाजपा – जिसके इर्द-गिर्द पूरी व्यवस्था का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
राष्ट्रीय और राज्य के चुनावों को एक साथ कर, भाजपा दो-तिहाई बहुमत के साथ लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही पर्याप्त राज्यों में भी जीत की उम्मीद कर रही है। यह आमूल-चूल संवैधानिक परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त करेगा जो हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए सभी बाधाओं को दूर कर देगा। यह एक साहसिक जुआ है। विजेता मोदी होंगे या जनता?