एआइएमआइएम के नेत असदुद्दीन ओवैसी ने भागलपुर के नाथनगर में शुक्रवार को चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा दो घोड़े लोजपा और जेडीयू की सवारी कर रही है। मगर अकलियत और इंसाफ की बात आती है तो कांग्रेस-राजद-जदयू सब हमाम में नंगे साबित होते हैंं। कांग्रेस को उन्होंने फिरकापरस्त करार दिया। साथ ही कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट नहीं डालने की लोगों से अपील की। सेक्युलर ग्रांड फ्रंट के रालोसपा व बसपा उम्मीदवार को विजयी बनाने की लोगाेें से अपील की।
उन्होंने भागलपुर में 1989 में हुए दंगे की पिडि़ताा चंदेरी की मल्लिका बेगम की सराहना की उन्होंने कहा वह अपने परिवार के साथ अपना एक पांव खोया। बावजूद इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी और मुजरिमों को अदालत से सजा दिलाने में सफल रही।
ओवैसी ने कहा कि भागलपुर का कौमी दंगा कांग्रेस के राज में हुआ। इसके बाद राजद की बिहार में सरकार बनी। लेकिन मुस्लिम-यादव का समीकरण बताकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि दंगाई उनके चहेते थे। इनकी विरादरी के थे। फिर जदयू का शासन आया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने। हद तो तब हो गई जब कोर्ट ने 16 लोगों को दंगा के एक मुकदमे में सजा दी। जिन पर कत्ल का इल्जाम था। जिसमें से नौ लोग हाईकोर्ट से बरी हो गए। मगर नीतीश सरकार ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की अर्जी तक नहीं दी।
उन्होंने कहा कि यहां नौजवानों को बताना जरूरी है कि कांग्रेस राज के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उस वक्त के एसपी का तबादला व निलंबन रोक दिया था। इसके बाद नरसंहार हुए। जिस खेत में गोभी उगाई जाती है उसमें सैकड़ों लाशें दफन की गई। जिस एसपी की नाक के नीचे कत्लेआम हुआ उसे नीतीश कुमार ने बिहार का डीजीपी बनाया। किससे हम इंसाफ की उम्मीद करें।
पांच साल पहले राजद-जदयू-कांग्रेस ने संघ मुक्त बिहार का मुलम्मा देकर वोट हासिल किया था। उनमें से नीतीश कुमार बाद में भाजपा से मिलकर सरकार बना लिए। सब झूठ बोलकर वोट बटोरने की फिराक में हैंं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है। बुनकरों का मसला भी हमारे उम्मीदवारों की जीत के बाद ही हल होगा।