ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भारत में कोविड प्रबंधन को लेकर सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोहन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक बातचीत में ओवैसी ने तंज करते हुए कहा कि जो आदमी जमीन से उठ कर प्रधानमंत्री बना, उन्ही मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में गंगा में लाशे उतरा रही हैं। इससे बुरा और क्या हो सकता है।
एक टीवी चैनल के साथ बातचीत के क्रम में हैदराबाद के सांसद ने सरकार पर दूसरी लहर के लिए कोई भी तैयारी न करने का आरोप लगाया और आज वह देश के सामने झूठ पर झूठ बोले जा रही है। यह झूठ तब, जबकि देश में लाशों का अंबार लगता जा रहा है। उन्होंने कोविड से होने वाली मौतों को झूठा करार देते हुए कहा कि उनके मुताबिक देश भर में चार से पांच लाख लोग मरे हैं। यह बात तो अनेक अखबारों ने लिखी है कि दो हजार लाशें तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही निकली हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले तो सोती रही। कहती रही कि हमने कोविड को हरा लिया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद संसद के समक्ष यह दावा किया था कि सरकार कोविड के खिलाफ जंग में कामयाब हो चुकी है। लेकिन यह कैसी कामयाबी का दावा था। उसने तो समय रहते वैक्सीन का ऑर्डर तक नहीं दिया था। इसीलिए देश में आज वैक्सीन मौजूद नहीं है। और, तो और, सच्चाई को दरकिनार कर सरकार ने उच्चतम न्यायालय में हलफ लगा कर यह तक ऐलान कर डाला है कि इस साल दिसंबर तक देश में 75 करोड़ डोज़ उपलब्ध होंगे। लेकिन, हम कैसे भरोसा कर लें। कहां से लाएंगे ये 75 करोड़ टीके।
औवैसी ने कहा कि हालात चिंताजनक हैं। हमको गंभीरता से विचार करना होगा कि क्या किया जाए। एंकर के यह कहे जाने पर कि सरकार सबको पॉजिटिव रहने की अपील करती है, उन्होंने कहा कि सरकार ही बता दे कि पॉजिटिविटी कहां से लाई जाए। जिन लोगों ने अपना प्रियजन खोया है, वे किस तरह अपने मन में सकारात्मकता ला पाएंगे। ऑक्सीजन मिलती नहीं। ब्लैक फंगस कि दवा उपलब्ध नहीं। लोग मर रहे हैं। सरकार ने हर चीज को मजाक बना दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हकीकत से दूर रहते हैं। देश के साथ इतना डिसकनेक्ट किसी और का देखने को नहीं मिलता। जिस गंगा के पोल्यूशन के लिए प्लांट लगे हैं। जिस गंगा की धार को वे अविरल निर्मल बनाना चाह रहे है, वहीं उनके चुनाव क्षेत्र में उसकी धारा में लाशे उतरा रही हैं। बनारस से लेकर बलिया और बक्सर तक। लेकिन कहीं कोई पुरसाहाल नहीं।
ओवैसी लॉकडाउन के विरोधी रहे हैं। यह याद दिलाने पर उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से वैक्सीन नहीं पैदा हो सकती, न ऑक्सीजन मिल सकता है और न बेड। फिर लॉकडाउन से क्या फायदा। उन्होंने बताया कि सेंटर फार मानिटिरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी के मुताबिक लॉकडाउन के चलते देश में 2 करोड़ 70 लाख रोजगार घट गए हैं। सरकार बार-बार पैसे की उपलब्धता की बात कहती है तो गरीबों के खाते में दस-दस हजार रुपए क्यों नहीं डाल देती। वे बोले, गरीब कोविड से नहीं मरेगा तो गरीबी से या फिर पुलिस की कार्रवाई से।