कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के मद्देनजर जहां सरकार लगातार राज्यों को सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के निर्देश दे रही है। वहीं, ज्यादातर राज्यों में तो लोग अभी सफर करने से ही बच रहे हैं। दरअसल, कोरोना की वजह से लोग भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच केंद्र सरकार का अनुमान है कि लॉकडाउन के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल में आई कमी को जल्द सामान्य नहीं किया जा सकता। इसलिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी है कि वे बिना मोटर के वाहन (नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट) जैसे साइकिल के प्रयोग को बढ़ावा दें।
केंद्र की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक, “सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में पहले की तरह ही यात्रियों की संख्या सामान्य करना बड़ी चुनौती है, क्योंकि अब लोग इसके लिए ज्यादा विकल्प तलाश रहे हैं। खासकर लॉकडाउन के बाद के समय के लिए तो वे सुरक्षित सफर को अहमियत दे रहे हैं। डिमांड और सप्लाई में इस तरह के नाटकीय बदलावों के बीच ट्रांसपोर्ट सिस्टम में यात्रा के लिए वैकल्पिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।”
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एडवाइजरी में आगे कहा गया, “इस मुश्किल समय में सार्वजनिक परिवहन से यात्रा कर रहे लोगों में असुरक्षा के भाव से आने वाले समय में सड़क पर बड़ी संख्या में निजी वाहन बढ़ेंगे, जिससे प्रदूषण के साथ-साथ बाकी परिवहन सेवाओं के लिए स्पेस की कमी पैदा होगी और सड़क सुरक्षा का मुद्दा प्रभावित होगा।”
केंद्र सरकार ने अंदाजा लगाया है कि बस रैपिड ट्रांजिट और मेट्रो रेल सेवा पूरी तरह शुरू होने के बाद भी सिर्फ 25 से 50 फीसदी क्षमता पर ही लौट पाएंगी। हर दिन इन परिवहन सेवाओं में 1 करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं। हालांकि, आगे लोग अपने लिए नई सुविधा चाहेंगे। इसी को सुलझाने के लिए एडवाइजरी में अन्य देशों का उदाहरण दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अलग-अलग देशों ने मेट्रो और कारों को कम करने के लिए साइकिल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया है और उसमें लगातार निवेश कर रहे हैं।
केंद्र ने इसके लिए प्लानिंग भी रखी है। एडवाइजरी के मुताबिक, शॉर्ट टर्म में अधिकारी आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य कर सकते हैं, साथ ही ज्यादा पॉजिटिव केस वाले इलाकों में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को कम रख सकते हैं। इसके अलावा बसों में बैठने की क्षमता में बदलाव और छोटी यात्राओं को बढ़ावा दे सकते हैं, ताकि लोग मोटर से चलने वाले वाहनों पर निर्भर न हों। एडवाइजरी में कहा गया है कि लोगों के लिए अस्थायी फुटपॉथ और लेन बनाई जाएं, ताकि पैदल चलने और साइकिलिंग को बढ़ावा मिले।
इसके आगे मीडियम टर्म में शहर पैदल और साइकिल से चलने वालों के लिए स्थायी और इंटरकनेक्टेड इन्फ्रास्ट्रक्चर बना सकते हैं। फुटपाथ और साइकिल ट्रैक से अतिक्रमण और पार्किंग हटाकर साइकिल से आवाजाही को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अलावा सिग्नल की टाइमिंग कम करने, स्पीड कैमरा और कॉन्टैक्टलेस पेमेंट के माध्यम भी खड़े किए जा सकते हैं।
लॉन्ग टर्म में शहर साइकिलों की कैशलेस बुकिंग शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा नॉन मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट जोन यानी बिना मोटर वाहन के जोन में कड़े नियम लगाए जा सकते हैं। फुटपाथ के चौड़ीकरण, कार्बन टैक्स और साइकिल चलाने वालों के लिए क्रेडिट सिस्टम शुरू कर के इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।