सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार का काम 3-4 महीने में पूरा करने का सुझाव दिया है. ऐसे में इस कानून पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के रुख पर एक टीवी डिबेट के दौरान कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि कालापानी में 80 हजार लोगों में से सिर्फ एक ने माफीनामा लिखा था।
इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का जिक्र करते हुए एंकर ने कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत से सवाल किया कि अगर आप देशद्रोह का कानून लगाए तो ठीक और बीजेपी लगाए तो वो अभिव्यक्ति की आजादी को दबा रही है। उन्होंने कहा कि कालापानी में 80 हजार लोगों में से सिर्फ एक ने मुखबिरी कर माफीनामा लिखा था, उनका नाम सावरकर था। जवाहरलाल नेहरू तो 10 साल इस देश की जेलों में रहे।
केंद्र की मंशा पर शक क्यों ? बहस के दौरान जब एंकर ने सभी पार्टियों के नेताओं से पूछा कि केंद्र की मंशा पर क्यों शक हो रहा है आपलोग को? इस बार तो सरकार ने अपने एफिडेविट में पीएम मोदी की मंशा का जिक्र करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इस कानून पर पुनर्विचार किया जाए। जिसका जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष भदौरिया ने कहा कि आप लोगों को केंद्र की किसी बात पर कितना भरोसा है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दोतरफा बात करती है। ये सरकार अभिव्यक्ति की आजादी की बात करती है पर ये अंग्रेजी रूपी सरकार है। ये अंग्रेजी कानून को ज्यादा लागू करना चाहती है क्योंकि उनसे ये ज्यादा प्रभावित रहते हैं।
इसे भारत के कानून से हटाया जाए: एंकर ने कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी से सवाल किया कि क्या आप देशद्रोह कानून पर सरकार की मंशा से सहमत हैं कि वो इस कानून पर निरीक्षण और पुनर्विचार करना चाहती है? उन्होंने कहा कि जब अंग्रेजी सरकार महात्मा गांधी पर मुकदमा चला रही थी थी तब उन्होंने धारा 124A का जिक्र किया था। मनीष तिवारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने इसे सही ठहराया था अब समय आ गया है कि इसे भारत के कानून से हटाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार का काम तीन-चार महीने में पूरा करने का सुझाव दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि वह राज्य सरकारों को यह निर्देश क्यों नहीं देता कि 124A के तहत मामले को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि केंद्र पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेता।