कोविड के कारण अपने मां-बाप या अभिभावकों को खोकर अनाथ हो चुके बच्चों की पीएम केयर्स फंड के जरिए मदद की जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल का होने पर मासिक वजीफा दिया जाएगा और 23 साल होने पर दस लाख रुपए नकद दिए जाएंगे। यही नहीं ऐसे बच्चों को निकटतम केंद्रीय विद्यालय अथवा किसी प्राइवेट स्कूल में प्रवेश मिलेगा। अगर बच्चे की भर्ती प्राइवेट स्कूल में होती है तो उसकी फीस शिक्षा के अधिकार के तहत पीएम केयर्स फंड द्वारा भरी जाएगी।

यह घोषणा शनिवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। प्रधानमंत्री कार्यालय, पीएमओ के बयान के मुताबिक अनाथ होने वाले बच्चों का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा भी किया जाएगा। बीमे की राशि पांच लाख रुपए होगी। इसके प्रीमियम का भुगतान भी पीएम केयर्स फंड के जरिए किया जाएगा। बीमा 18 साल की उम्र तक चलता रहेगा। प्रधानमंत्री की तीसरी बड़ी घोषणा ऐसे बच्चों की उच्च शिक्षा की बाबत है। पीएमओ ने कहा है कि इन बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए कर्ज दिलाने में भी सरकार मदद करेगी। कर्ज मिलने के बाद उस पर लगने वाले ब्याज का भुगतान भी पीएम केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।

इन घोषणाओं के बीच प्रधानमंत्री ने कहा है कि बच्चे भारत का भविष्य हैं। हम उनकी मदद, उनकी सुरक्षा के लिए हर कोशिश करेंगे। समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि बच्चों की देखभाल की फिक्र करें और उनके अंदर सुनहरे भविष्य के सपने जगाएं।

प्रधानमंत्री की इन घोषणाओं का सत्ताधारी भाजपा ने स्वागत किया है। लेकिन विपक्ष ने खबर लिखे जाने तक कोई टिप्पणी नहीं की है। सोशल मीडिया अलबत्ता सक्रिय हो गया है। इस मंच पर सरकार के समर्थक प्रधानममंत्री के इन कदमों की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। दूसरी, ओर सरकार विरोधी मानसिकता के लोग अभी से बाल की खाल निकालने में जुट गए हैं।

प्रणय मर्चेंट का सवाल है कि 18 साल बाद मिलने वाले वजीफे की रकम कितनी होगी और इतने सालों बाद दस लाख की रकम का क्या महत्व रह जाएगा? इसके अलावा अनाथ बच्चों के पढ़ाई-लिखाई से इतर दूसरे खर्चे कहां से पूरे होंगे।

ऐसे ही हाय हैदराबाद नाम का ट्विटर हैंडल कहता है कि मा-बाप के साए से मरहूम हो चुके बच्चों को तो इसी वक्त मदद चाहिए। मदद देने के लिए 18 साल का इंतजार क्यों? क्या यह भी कोई जुमला है?

ऐसे ही सौम्या कहती हैः माता और पिता दोनों के मरने की शर्त क्यों? अगर किसी बच्चे ने रोजी-रोटी कमाने वाले को खोया है तो क्या उसकी मदद नहीं की जाएगी? सौम्या भी 18 साल के इंतजार को लेकर चकित हैं। कहती हैं कि अगर कोई बच्चा दस साल की उम्र में अनाथ हुआ है तो उसे कुछ पाने के लिए आठ साल इंतजार करना पड़ेगा! दीपक का सवाल है कि ये बच्चे आखिर 18 साल तक कैसे जिएंगे? उनको तो तुरंत मदद की दरकार है।