पूर्व सैनिकों ने एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) लागू करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए भूख हड़ताल खत्म करने की आज घोषणा की लेकिन कहा कि जब तक सभी मुद्दे हल नहीं होते उनका आंदोलन जारी रहेगा।

पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार ने पांच साल के बाद पेंशन की पुनरीक्षा करने की जो घोषणा की है वह उन्हें किसी तरह भी स्वीकार्य नहीं है। साथ ही, ओआरओपी के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन के लिए गठित एक सदस्यीय न्यायिक आयोग की नियुक्ति भी उन्हें स्वीकार्य नहीं है।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व सैनिकों के संगठन के नेता मेजर जनरल (अवकाशप्राप्त) सतबीर सिंह ने कहा कि जब तक पूर्व सैनिकों की तरफ से उठाए गए चार खास बिंदुओं को सरकार मान नहीं लेती उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सिंह ने कहा, ‘‘जो लोग भूख हड़ताल पर हैं, हम उनसे उसे खत्म करने का आग्रह करते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री ने समय पूर्व अवकाशग्रहण के मुद्दे को स्पष्ट किया है। लेकिन जब तक हमारी तरफ से बुलंद किए गए चार बिंदुओं को सरकार मान नहीं लेती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि अगर सरकार लंबित मुद्दों को हल करने में नाकाम रहती है तो पूर्व सैनिक फिर से भूख हड़ताल का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हम एक रैंक, एक पेंशन के वादे को पूरा करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हैं। हम रक्षामंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं, लेकिन पेंशन में समानता लाने समेत चार मुद्दों का समाधान किया जाना है।’’

एक रैंक, एक पेंशन (ओआरओपी) के लिए चार दशक से जोर देने वाले पूर्व-सैनिकों को कल तक एक आंशिक जीत मिली जब मोदी सरकार ने एलान किया कि वह उसे लागू करेगी, लेकिन पूर्व-सैनिकों ने सरकार के फैसले को खारिज कर दिया और आंदोलन जारी रखने का फैसला किया।

यह मुद्दा एक प्रमुख रोड़ा बना कि क्या समयपूर्व अवकाशग्रहण कर चुके पूर्व-सैनिक इस स्कीम के दायरे में आएंगे या नहीं। पूर्व-सैनिकों ने कल रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात की और उसके बाद उन्होंने कहा कि पर्रिकर का स्पष्टीकरण ‘‘संतोषप्रद’’ था।