देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के उद्देश्य से गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की पहली बैठक बुधवार को आयोजित हुई। इस बैठक में बीजेपी सांसद और समिति के सदस्य संबित पात्रा 18 हजार पन्नों के दस्तावेज लेकर पहुंचे, जो कानून मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए थे। बैठक का उद्देश्य संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक की समीक्षा करना था। बैठक में विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रस्तावित विधेयकों की कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। मंत्रालय ने यह भी बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का विचार विधि आयोग समेत कई संस्थानों द्वारा समर्थित है।

सदस्यों में प्रियंका गांधी और AAP नेता संजय सिंह भी शामिल

समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं। इस 39 सदस्यीय समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता शामिल हैं। इनमें कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा, जनता दल (यूनाइटेड) से संजय झा, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, और तृणमूल कांग्रेस से कल्याण बनर्जी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्यों को इस समिति में जगह दी गई है।

समिति के गठन के बाद विभिन्न दलों ने इसमें अपनी भागीदारी बढ़ाने की मांग की। इसके चलते सदस्यों की संख्या 31 से बढ़ाकर 39 कर दी गई। समिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 22 और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के 10 सदस्य शामिल हैं। बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियां किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।

बैठक में बीजेपी सांसदों ने एक साथ चुनाव कराने की पहल को सराहा और इसे देश के लिए फायदेमंद बताया। वहीं, विपक्षी दलों ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। कांग्रेस के सदस्य ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया। तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि यह विचार जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को कमजोर करता है।

सरकार का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि प्रशासनिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। हालांकि, विपक्ष का तर्क है कि यह विचार संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। संविधान संशोधन से जुड़े इन विधेयकों को पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पेश किया गया था। समिति को आगामी बजट सत्र के अंतिम सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

संयुक्त संसदीय समिति की इस बैठक ने विधेयकों पर चर्चा की शुरुआत कर दी है। आने वाले हफ्तों में समिति इन प्रावधानों पर गहन चर्चा करेगी और सुझाव प्रस्तुत करेगी। यह पहल भारतीय चुनावी प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकती है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक बहस और मतभेद जारी रहने की संभावना है।