One Nation, One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। विभिन्न न्यूज चैनल्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। खबर ये है कि भी सरकार शीतकालीन सत्र में इसपर एक बिल ला सकती है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में वन नेशन, वन इलेक्शन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

कैबिनेट मंत्रियों द्वारा वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी दिए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी हमेशा से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि सभी पूर्व चीफ जस्टिस, सियासी नेताओं, सियासी दलों, चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ विचार-विमर्श किया गया और आज अंततः कैबिनेट ने सिफारिशों को मंजूरी दे दी। वन नेशन, वन इलेक्शन देश के विकास और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी है। मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को बताना चाहिए कि क्या 1966 से पहले एक राष्ट्र एक चुनाव लागू था।

One Nation One Election: क्या संभव है एक देश-एक चुनाव? देश को कितना फायदा- कितना नुकसान? जानें हर सवाल का जवाब

वन नेशन, वन इलेक्शन पर विपक्ष ने क्या कहा?

आम आदमी पार्टी के नेता संदीप पाठक ने कहा कि कुछ दिनों पहले चार राज्यों में चुनाव करवाए जाने थे लेकिन उन्होंने सिर्फ हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव का ऐलान किया और महाराष्ट्र व झारखंड को छोड़ दिया। अगर वो चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करवा सकते, वो वे पूरे देश में एक साथ चुनाव कैसे करवाएंगे। अगर एक राज्य सरकार टर्म पूरा करने से पहले ही गिर जाएगी तो क्या होगा? क्या राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? क्या यह राज्यों को अस्थिर करने का प्लान है?

कांग्रेस के सीनियर नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह आज के समय में और संविधान के तहत संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मान लीजिए – जनवरी 2025 से वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो गया, अब पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव होंगे। अगर किसी राज्य या केंद्र की सरकार दो साल बाद गिर जाती है और यह सरकार पांच साल के लिए चुनी जाती है, यानी इसका अगला चुनाव 2032 में आएगा (जहां सरकार गिर चुकी है) और बाकी जगहों पर 2030 में चुनाव होंगे, तो इस स्थिति में वन नेशन, वन इलेक्शन का क्या होगा? यह बिल्कुल भी संभव नहीं है।

रामनाथ कोविंद की कमेटी ने क्या सिफारिश की थी?

रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी।

कमेटी ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक ‘क्रियान्वयन समूह’ गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, ‘‘लोकतंत्र की नीव’’ को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

कमेटी ने भारत के चुनाव आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं।

कमेटी ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी। एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक साथ चुनाव कराने के प्रबल समर्थक रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है। (इनपुट-भाषा)