Tamil Nadu News: तमिलनाडु पुलिस ने हाल ही में साल 1998 के कोयंबटूर सीरियल बम धमाकों के मुख्य आरोपी समेत तीन आतंकियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। तमिलनाडु डीजीपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ‘अबूबकर सिद्दीकी, मोहम्मद अली और सादिक उर्फ टेलर राजा को लगभग तीन दशक तक फरार रहने के बाद गिरफ्तार किया गया है।
सादिक अली को 1990 के दशक की शुरुआत में दर्जी राजा के नाम से जाना जाता था। वह प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन अल-उम्मा का कार्यकर्ता था और 1998 के कोयंबटूर ब्लास्ट का मुख्य आरोपी था। इस हमले में 58 लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा घायल हुए थे। केवल सादिक अली ही ब्लास्ट में अकेला नहीं था बल्कि अबूबकर भी इस हमले की पूरी प्लानिंग में शामिल था। साथ ही उसके सहयोगी मोहम्मद अली मंसूर को भी गिरफ्तार किया था। वह 1999 के चेन्नई विस्फोटों का आरोपी है।
पुलिस ने यह गिरफ्तारी ऑपरेशन अराम और ऑपरेशन अगाजी के तहत की हैं। ह्यूमन इंटेलिजेंस, एआई स्केच और फील्ड अधिकारियों की वजह से इन ऑपरेशनों ने लगभग तीन दशकों से ठंडे बस्ते में पड़े मामलों को सुलझाने में काफी मदद की।
टेलर राजा के नाम से मशहूर सादिक अली
सादिक अली के नाम से जन्मा लेकिन टेलर राजा के नाम से मशहूर कभी दक्षिण उक्कदम, कोयंबटूर में सफारी जींस सिलने के लिए मशहूर था। इसका चलन 1990 के दशक में बहुत ज्यादा था। हालांकि, 1996 तक कथित तौर पर उनके दर्जी के काम ने खूनी धंधों को जन्म दे दिया। पेट्रोल बम विस्फोट, बदला लेने के लिए हत्याएं और कोयंबटूर बम धमाकों में शामिल होना। इसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को निशाना बनाया गया था।
हमलों के बाद गायब हो गया था राजा
हमलों के बाद, राजा गायब हो गया था। कथित तौर पर वह हुबली, सोलापुर और गुंटूर में भटकता रहा और फिर शाहजहां शेख के झूठे नाम से विजयपुरा में बस गया। यह उसके बड़े भाई का नाम था जो अभी भी कोयंबटूर में रहता था। तब तक, राजा ने कथित तौर पर अपनी पहली पत्नी से संपर्क तोड़ लिया था, दोबारा शादी कर ली थी और उनके बच्चे भी हो गए थे। उन्हें कभी पता नहीं चला कि वह कौन थे। इस मामले में 2007 और 2008 के बीच फैसले सुनाए जा चुके थे, लेकिन राजा के मामले में अलग होने का मुकदमा अभी भी जारी है।
श्रीलंका ने भारत को दिया दो टूक जवाब
एटीएस को आखिरकार उसे ढूंढने में कथित तौर पर एक काले तिल से मदद मिली। एक वरिष्ठ एटीएस अधिकारी ने बताया, ‘हमने तस्वीर को एआई सॉफ्टवेयर में डालकर एक संभावित उम्र का स्केच तैयार किया।’ उन्होंने आगे कहा, टहमने इसे हुबली के कुछ बुजुर्ग दर्जियों को दिखाया। उनमें से एक को वह तिल याद आ गया। इससे तस्वीर खुल गई।’
राजा के हुबली छोड़कर विजयपुरा में रहने की सूचना के साथ एटीएस अधिकारी वहां पहुंचे और उसे पकड़ने से पहले कई लोगों का पीछा किया। उन्होंने हफ्तों तक चुपके से उसका पीछा किया और जब उन्हें पूरा यकीन हो गया, तो उन्होंने 9 जुलाई को उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन बुलाया। कुछ सवालों के बाद, उसने कथित तौर पर अपना गुनाह कबूल कर लिया। जाने से पहले, उसने अपनी पत्नी और बच्चों से कहा कि उसे एक पुराने केस के सिलसिले में कोयंबटूर जाना है और वह कुछ दिनों में वापस आ जाएगा। 1996 में जेल वार्डर बूपालन की हत्या में उसकी भूमिका के लिए उसे 2022 में भगोड़ा घोषित किया गया था। 1997 में वह मदुरै में जेलर जयप्रकाश की कथित हत्या करने वाले हमलावरों में शामिल था।
अबूबकर सिद्दीकी सबसे ज्यादा खतरनाक
अबूबकर सिद्दीकी शायद तीनों में सबसे खतरनाक था। वह 1993 में चेन्नई में आरएसएस ऑफिस पर हुए बम विस्फोट का मास्टरमाइंड था। सिद्दीकी कथित तौर पर आईईडी और पार्सल बम बनाने में माहिर हो गया था। 1995 में में कथित तौर पर उसने ऐसे ही दो बम भेजे थे। पहला तो एक हिंदू मुन्नानी नेता मुथुकृष्णन के लिए और फिर दूसरा बीजेपी के जगवीर पांडियन के लिए। इसको एक पोस्टमास्टर की बदौलत रोक लिया गया। इसके बाद सिद्दीकी कथित तौर पर यूएई भाग गया, 1998 में कुछ समय के लिए मुंबई लौटा और फिर गायब हो गया।
1999 तक कथित तौर पर चेन्नई पुलिस कमिश्नरेट और विक्टोरिया अस्पताल बम विस्फोटों की साजिश रची थी। उसकी गिरफ्तारी का कोऑर्डिनेट करने वाले टॉप एटीएस अधिकारी ने बताया कि सिद्दीकी 2002 से आंध्र प्रदेश के रायचोटी में रह रहा था, प्लेटफॉर्म पर पुराने कपड़े बेच रहा था, छोटे-मोटे रियल एस्टेट सौदों में इंवेस्ट कर रहा था और एक छोटी सी दुकान चला रहा था। उसने कथित तौर पर 2021 में दोबारा शादी कर ली।
अधिकारी ने बताया, ‘वह महीने में एक बार तमिलनाडु में अपने परिवार से मिलने का दावा करके गायब हो जाता था, लेकिन वह केरल या बेंगलुरु में आराम कर रहा होता था। पिछले एक दशक में हमें 10 नाकाम मुखबिर मिले। 11वीं मुखबिरी ने आखिरकार हमें उस तक पहुंचा दिया।’ एआई बेस्ड स्कैच और महीनों की निगरानी की मदद से एटीएस ने उसका पता लगाया। 30 जून को उसे पास के एक थाने में बुलाया गया। यहां पर उसने सरेंडर कर दिया। उसने कथित तौर पर मोहम्मद अली मंसूर को भी सौंप दिया। वह एक कपड़ा दुकान चलाता था और उसे उसी कस्बे, रायचोटी से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद की छापेमारी में पुलिस को 2 किलो अमोनियम नाइट्रेट, कोटेक्स तार और धातु के बोल्ट मिले। पंजाब से तमिलनाडु तक राजनीति के पांच रंग