देश में मंगलवार को कोरोना विषाणु संक्रमण के मामलों में सोमवार को दर्ज किए गए मामलों के मुताबिक थोड़ी सी वृद्धि दर्ज की गई। मंगलवार रात ग्यारह बजे तक 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना के 1,33,401 नए मामले सामने आए। इस दौरान 3,198 लोगों की मौत संक्रमण की वजह से हुई। ये आंकड़े राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों की ओर से जारी किए गए।
देश में सबसे अधिक मामले तमिलनाडु में सामने आए। तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में कोरोना के 26,513 मामले दर्ज किए गए जबकि 490 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा केरल में 19,760, कर्नाटक में 14,304, महाराष्ट्र में 14,123, आंध्र प्रदेश में 11,303, पश्चिम बंगाल में 9,424, ओड़ीशा में 8,735, असम में 4,682, तेलंगाना में 2,493, पंजाब में 2,184, जम्मू कश्मीर में 1,895, छत्तीसगढ़ में 1,886, गुजरात में 1,561, उत्तर प्रदेश में 1,317, हरियाणा में 1,233, बिहार में 1,174, मध्य प्रदेश में 1,078, राजस्थान में 1,002, उत्तराखंड में 981, पुदुचेरी में 979, हिमाचल प्रदेश में 921, गोवा में 903, त्रिपुरा में 841, मणिपुर में 798, झारखंड में 831, दिल्ली में 623, मेघालय में 467, अरुणाचल प्रदेश में 322, मिजोरम में 312, सिक्किम में 309, नगालैंड में 174, लद्दाख में 165 और चंडीगढ़ में 108 नए मामले दर्ज किए गए।
उधर, केन्द्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने मंगलवार को कहा कि देश भर में कोविड उपचार में काम आने वाली दवाओं की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बनी है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने एक बयान में कहा कि 21 अप्रैल से 30 मई, 2021 के बीच राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को रेमडेसिविर के 98.87 लाख इंजेक्शन आबंटित किए गए हैं। मांग की तुलना में आपूर्ति बढ़ाने के लिये रेमडेसिविर के उत्पादन को 10 गुना बढ़ा दिया गया है।
इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को कवक संक्रमण के उपचार में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी के वितरण के लिए नीति बनाने व मरीजों की प्राथमिकता बताने का निर्देश दिया ताकि जिंदगियां बचाई जा सकें। दिल्ली में कोविड-19 प्रबंधन और कवक उपचार की दवाओं की कमी से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि दवा देते समय यह ध्यान रखा जाए कि जिनके जीवित रहने की बेहतर संभावना है, उन्हें व कम आयु वर्ग के लोगों को, उन वृद्धों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह के पीठ ने कहा कि केंद्र अपनी नीति में यह अपवाद कर सकता है कि जो शीर्ष पदों पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं और जिसकी सुरक्षा उनकी अहम भूमिकाओं के चलते जरूरी है, उन्हें यह दवा दी जाए।