राजस्थान हाईकोर्ट से एक ऐसा वाकया सामने आया है जिससे सुप्रीम कोर्ट भी हैरत में पड़ गया। एक जस्टिस ने आरोपी को राहत नहीं दी तो दूसरे से राहत पाने के लिए आरोपी ने एक नायाब तरीका अपनाया। टॉप कोर्ट के सामने ये केस आया तो जस्टिसेज ने भी अपना सिर पकड़ लिया। उनका कहना था कि कानूनी सिस्टम का ऐसा माखौल पहले कभी देखने को नहीं मिला। ये मामला न्याय प्रणाली पर एक बदनुमा दाग की तरह से है।
हैरतअंगेज करने वाला मामला तब शुरू हुआ जब एक शख्स के खिलाफ छह केस दर्ज कराए गए। कुछ दिन बाद उसके खिलाफ दो और केस भी दर्ज कराए गए। आरोपी ने राहत पाने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत राजस्थान हाईकोर्ट में Criminal Miscellaneous petition दाखिल की। सिंगल जज की बेंच के सामने ये रिट लगी तो उन्होंने इसे पहली नजर में देखते ही खारिज कर दिया। उनका आदेश था कि राहत नहीं दे सकते।
क्रिमिनल रिट खारिज हुई तो निकाला दूसरा रास्ता
सिंगल जज के आदेश के बाद गोरखधंधा शुरू हुआ। आरोपी ने 5 मई 2023 को हाईकोर्ट में ही एक सिविल रिट पटीशन दाखिल की। उसकी दरख्वास्त थी कि आठों केस एक साथ मिलाकर अरेस्ट से राहत दी जाए। आरोपी ने इस बात का खास ख्याल रखा कि उसकी रिट पहले वाले जस्टिस के पास न जाए। उसने रोस्टर की पड़ताल के बाद ही रिट लगाई। हाईकोर्ट के दूसरे जस्टिस ने उसकी सिविल रिट पटीशन को सुना और दरख्वास्त मान ली। खास बात है कि सिविल रिट में शिकायतकर्ता का कोई जिक्र नहीं किया गया था, जिससे कोई अड़ंगा ना लगा सके।
सुप्रीम कोर्ट बोला- जस्टिस को एडमिट नहीं करनी चाहिए थी सिविल रिट
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने केस को देखा तो वो स्तब्ध रह गए। उनका कहना था कि कोई भी जस्टिस क्रिमिनल रिट पटीशन की सुनवाई चीफ सेक्रेट्री के बनाए रोस्टर सिस्टम के अनुसार ही कर सकता है। ऐसे में सिविल रिट पटीशन को स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं बनता। जस्टिस को ऐसी रिट एडमिट ही नहीं करनी थी। ये कानूनी सिस्टम का माखौल है।
टॉप कोर्ट ने आरोपी को लगाया 50 हजार रुपये की जुर्माना
टॉप कोर्ट का कहना था कि सिविल रिट पटीशन को देखने के बाद संबंधित जस्टिस को उसे क्रिमिनल रिट में तब्दील करके चीफ जस्टिस के पास भेजना था। वो उसे ऐसी बेंच के सामने असाइन करते जिसके पास इस तरह की रिटों को देखने का अधिकार था। लेकिन यहां तो सारे सिस्टम को ताक पर रख दिया गया। आठों केस मर्ज करके आरोपी को राहत भी दे दी गई। टॉप कोर्ट ने आरोपी पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया।