इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदीप कुमार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का आदेश पारित कर दिया है। यह वही शख्स हैं जिन्हें 2002 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रदीप कुमार पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था और देशद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। 2014 में कानपुर की एक अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। वह अब न्यायाधीश बनने के करीब पहुंच गए हैं। पिछले सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह प्रदीप कुमार को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का पत्र जारी करे।
क्या था पूरा मामला?
प्रदीप कुमार को सहयोगी खुफिया एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के आधार पर 13 जून, 2002 को एसटीएफ और सैन्य खुफिया द्वारा संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमार के पिता को 1990 में रिश्वतखोरी के आरोपों के कारण अतिरिक्त न्यायाधीश की सेवा से निलंबित भी पाया गया था।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि प्रदीप कुमार आसान पैसे कमाने के विकल्पों की तलाश में फैजान इलाही नाम के एक व्यक्ति के संपर्क में आया था जो एक फोटोस्टेट की दुकान चलाता था जिसने कथित तौर पर उससे पैसे के बदले में उसे टेलीफोन पर कुछ जानकारी देने के लिए कहा था। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कुमार ने पैसे के बदले में कानपुर छावनी की संवेदनशील जानकारी लीक की थी।
कानपुर की एक अदालत ने 2014 में प्रदीप कुमार को बरी करते हुए अपने आदेश में कहा था कि अभियोजन पक्ष को यह दिखाना होगा कि आरोपी ने शब्दों, संकेतों या दृश्य चित्रणों के माध्यम से सरकार के प्रति घृणा या अवमानना को भड़काने का प्रयास किया है या व्यक्त किया है। इस मामले में सरकार के खिलाफ़ ऐसी कार्रवाइयों के दावों को पुष्ट करने के लिए अभियोजन पक्ष के गवाहों की ओर से कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं है।
जज बनने तक की कहानी क्या है?
साल 2014 में बरी होने के दो साल बाद प्रदीप कुमार ने यूपी उच्च न्यायिक सेवा (सीधी भर्ती) परीक्षा के लिए आवेदन किया। जिसमें मेरिट सूची में उन्हें 27वां स्थान मिला। 18 अगस्त, 2017 को हाईकोर्ट ने अन्य चयनित उम्मीदवारों के साथ उनकी नियुक्ति की सिफारिश राज्य सरकार से की। हालांकि कुमार को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। इस आदेश को चुनौती नहीं दी गई। इसके बाद मामले की राज्य सरकार द्वारा समीक्षा की गई, जिसने 26 सितंबर, 2019 को एक कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से याचिकाकर्ता को नियुक्त करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद प्रदीप कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक नई याचिका दायर कर राज्य सरकार के 2019 के आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की और यूपी उच्च न्यायिक सेवा में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति किया जाए। 6 दिसंबर हाईकोर्ट जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस दोनादी रमेश की बेंच ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया और दो सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता का चरित्र सत्यापन करने के बाद नियुक्त करने को कहा है।