जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन पूर्व निश्चित निष्कर्ष है, फिर भी सरकार के गठन में देरी क्यों हो रही है, यह बता पाना मुश्किल है। लेकिन यह देरी राज्य के लिए नुकसानदेह है। उमर ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा- जब पीडीपी घोषणा कर चुकी है कि गठबंधन का एजंडा एक पवित्र दस्तावेज है और पीडीपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा का सम्मान करती है, तो फिर सरकार के गठन में देरी क्यों हो रही है।
नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर पीडीपी कोर ग्रुप की रविवार शाम यहां हुई बैठक के बाद पीडीपी के जारी किए गए बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उमर ने कहा- आज (रविवार) की बैठक के बाद पीडीपी की ओर से मीडिया को जारी बयान से साफ हो गया है कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन कायम है। पीडीपी ने कोई शर्त नहीं रखी है। कोई सौदेबाजी नहीं हो रही है और नई पीडीपी-भाजपा सरकार एक पूर्व निश्चित निष्कर्ष है।
उन्होंने कहा कि सरकार के गठन में देरी को लेकर आम धारणा यह है कि यह सब पीडीपी के लिए थोड़ी बहुत विश्वसनीयता बनाए रखने और नैतिकता का परदा डालने के लिए किया जा रहा है। उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को निर्वाचित सरकार नहीं मिल पा रही है, जबकि दो राजनीतिक दल संयुक्त बहुमत के साथ गठबंधन में बने हुए हैं। यह बात विचित्र है। यह दिखावा और राजनीतिक ड्रामा राज्य में अनिश्चितता, अस्थिरता और अव्यवस्था की कीमत पर हो रहा है।
उमर ने कहा कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी के पास दो विकल्प हैं- या तो वे जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए वादे पूरा करें या भाजपा से गठबंधन तोड़ लें। उन्होंने कहा कि महबूबा स्थिति से नहीं उबर पा रही हैं तो उन्हें भाजपा के साथ पीडीपी का गठबंधन तोड़ देना चाहिए। हम फिर से चुनावों में उतर सकते हैं। सरकार के गठन में महबूबा जितनी देर करेंगी, तो लोग भी उनसे उम्मीद करेंगे कि वह केंद्र से और अधिक रियायतें हासिल करें। उन्होंने कहा कि मैं वास्तविक निराशा के साथ राजनीतिक खेल में उनके लिए शुभकामना देता हूं। यह राजनीतिक खेल जम्मू-कश्मीर में आम आदमी की कीमत पर हो रहा है जो लगातार घोर राजनीतिक अनिश्चितता से घिरा है।