New Parliament Inauguration: नई संसद के उद्घाटन का कार्यक्रम शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूजा-हवन के बाद ‘सेंगोल’ सौंप दिया गया है। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘सेंगोल’ नई संसद में स्पीकर की कुर्सी के बराबर में स्थापित कर दिया। देश की नई संसद पुरानी संसद के मुकाबले न सिर्फ बड़ी है बल्कि आधुनिक तकनीक से लैस है। पुरानी संसद आज भले ही इतिहास बन गई हो लेकिन यह संसद आजादी से पहले से अभी तक देश के इतिहास के कई महत्वपूर्ण पल समेटे हुए है। आइए आपको बताते हैं ऐसी 5 घटनाओं के बारे में जिनकी साक्षी देश की पुरानी संसद बनी।
- आजादी के बाद महात्मा गांधी की हत्या- 15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने के बाद महात्मा गांधी की हत्या उस समय देश की सबसे बड़ी घटना थी, जिसकी गवाह संसद बनी। महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई। तब अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर ने 2 फरवरी, 1948 को लोकसभा की एक बैठक के दौरान महात्मा गांधी की मृत्यु की घोषणा की। मावलंकर ने कहा, “आज हम एक दोहरी आपदा की छाया में बैठक कर रहे हैं, हमारे युग की सबसे कद्दावर हस्ती का दुखद निधन हो गया है जिसने हमें गुलामी से आजादी की ओर अग्रसर किया और हमारे देश में राजनीतिक हिंसा की फिर से शुरुआत हो गई है।” वहीं, नेहरू ने कहा, “एक गौरव चला गया है और हमारे जीवन को गर्म और उज्ज्वल करने वाला सूर्य अस्त हो गया है और हम ठंड और अंधेरे में कांप रहे हैं।”
- पाकिस्तानी सेना का समर्पण- साल 1971 बांग्लादेश का जन्म और पाकिस्तानी सेना का भारतीय सेना के सामने सरेंडर तब की पीएम इंदिरा गांधी के कार्यक्राल के दौरान हुआ। तब संसद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के बिना शर्त आत्मसमर्पण की घोषणा का भी साक्षी रहा है।
- परमाणु परीक्षण- साल 1974 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 22 जुलाई को संसद में एक विस्तृत बयान दिया, जिसमें सदन को पोखरण में “शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण” और अन्य देशों की प्रतिक्रिया से अवगत कराया गया। लगभग 24 साल बाद 1998 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने वैज्ञानिकों द्वारा उस वर्ष 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद भारत को परमाणु हथियार संपन्न देश घोषित किया।
- इमरजेंसी- साल 1975 में आपातकाल लागू होने के बाद जब लोकसभा की बैठक हुई, तो सदन में मुद्दों को उठाने के निजी सदस्यों के अधिकारों को निलंबित करने के सरकार के कदम के खिलाफ सदन में कई सदस्यों का विरोध देखा गया। उप गृहमंत्री एफ.एच. मोहसिन ने 21 जुलाई, 1975 को लोकसभा की बैठक में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल लगाये जाने की घोषणा की। लोकसभा सदस्य सोमनाथ चटर्जी, इंद्रजीत गुप्ता, जगन्नाथराव जोशी, एच.एन. मुखर्जी, पी.के. देव ने अपने अधिकारों के निलंबन का विरोध किया।
- गठबंधन युग- कांग्रेस पार्टी के कमजोर होने के बाद देश की सियासत गठबंधन में प्रवेश कर गई, उस समय का गवाह भी पुरानी संसद बनी। साल 1989 में देश की राजनीति के गठबंधन युग में प्रवेश करने के साथ ही संसद 1998 तक लगातार सरकारें बदलने की गवाह बनी, जब बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन बनाया था। साल 2014 में नरेंद्र मोदी लंबे समय बाद ऐसी सरकार के मुखिया बने जिसे पूर्ण बहुमत हासिल था। नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान ही नई संसद का काम शुरू हुआ और उद्घाटन हुआ।