पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि तेल उत्पाद को GST की ओर ले जाना पड़ेगा, तभी ग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा। उनका कहना है कि हम इसके लिए जीएसपी काउंसिल से लगातार अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन इसका फैसला काउंसिल को ही करना है कि पेट्रोल, डीजल को GST के दायरे में लाएं या नहीं।

ध्यान रहे कि देश में पिछले कई दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें नया रिकॉर्ड बना रही हैं। बावजूद इसके कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं। प्रधान का कहना है कि ईंधन की कीमत बढ़ने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। तेल उत्पादक देशों ने ईंधन का उत्पादन कम कर दिया है। अधिक लाभ के लिए तेल उत्पादक देश ऐसा कर रहे हैं। इससे उपभोक्ता देश त्रस्त हैं।

पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार ओपेक और ओपेक प्लस देशों से आग्रह कर रही है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि बदलाव जल्द होगा। प्रधान ने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने का दूसरा कारण विकास कार्य हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार कर एकत्र करते हैं। विकास कार्यों पर खर्च करने से ही अधिक रोजगार पैदा होंगे। सरकार ने अपने निवेश में वृद्धि की है और इस बजट में 34% अधिक पूंजी व्यय किया जाएगा।

पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग को केंद्र सरकार पहले कई बार खारिज कर चुकी है। तब सरकार का तर्क था कि इससे लोगों को कोई राहत नहीं मिलेगी। सरकार के मुताबिक, पेट्रोल, डीजल को जीएसटी में लाने से राज्यों की कमाई पर भी काफी बड़ा असर पड़ेगा। अगर तेल उत्पाद जीएसटी में आते हैं तो भी उन पर 28 फीसदी टैक्स के बाद सेस लगाया जाएगा। इसका लाभ ग्राहकों के बजाए तेल कंपनियों को मिलेगा। ग्राहकों के लिए कीमतों में किसी भी तरह का अंतर देखने को नहीं मिलेगा। 

गौरतलब है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत इस समय 91 रुपए है तो डीजल 81 रुपए के आंकड़े के पास पहुंच गया है। तेल के दामों में दो दिनों तक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली थी। उसके बाद फिर से दाम बढ़ गए। विपक्ष तेल के दामों पर लगातार सरकार पर हमलावर हो रहा है।