दिल्ली सरकार में कार्यरत अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों से लेकर अन्य दूसरे ग्रुप ए अधिकारियों की विदेश यात्रा पर जाने के मामले को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। पिछले कुछ महीनों में दिल्ली सरकार में अहम विभागों की जिम्मेदारियां संभालने वाले अधिकारियों ने निजी विदेश यात्रा पर जाने की योजना बनाई जिसके कई अनुरोध प्राप्त किए हैं। इनमें पूर्व में जारी आदेश निर्देशों और नियमों के अनुपालन की कमी देखी गई है।

पिछले कुछ महीनों में निजी विदेशी दौरों पर जाने के प्रस्ताव ज्यादा आए

उपराज्यपाल ने यह भी पाया है कि पिछले कुछ महीनों में निजी विदेशी दौरों पर जाने वाले अधिकारियों के प्रस्ताव ज्यादा प्राप्त किए गए। इतना ही नहीं, उपराज्यपाल सचिवालय ने पाया है कि इन अधिकारियों की तरफ से दिया गया अनुमानित खर्चे का विवरण घरेलू दौरों के भी सामान्य व्यय के अनुरूप नहीं है। इस तरह के मामलों को बेहद ही चौंकाने वाला और तथ्यों को छिपाने जैसा बताया गया है। इस तरह के मामले सामने आने के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे प्रस्तावों की सिफारिश बहुत ही सावधानी के साथ संबंधित विभाग के प्रमुख की तरफ से की जाए।

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साथ ही सिफारिश करते हुए अधिकारियों के वर्तमान कार्यभार का भी विशेष ध्यान रखा जाए ताकि यह किसी भी तरह से क्षेत्र के कार्यभार को प्रभावित न करे। विदेश जाने वाले अधिकारियों के अधिकतर प्रस्ताव अंतिम क्षण में एलजी कार्यालय को भेजे जाते हैं जबकि दिल्ली उपराज्यपाल के विचारनार्थ या फिर अनुमति के लिए प्रस्तावित दौरे से कम से कम एक महीने पहले भेजे जाने चाहिए। इनमें कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), भारत सरकार के पूर्व में जारी आदेश निर्देशों का अनुपालन किया है और न ही विदेश यात्रा पर आने वाले अनुमानित खर्चे का सटीक विवरण उपलब्ध कराया है।

उपराज्यपाल सक्सेना ने इस तरह के प्रस्तावों को फारवर्ड करने वाले संबंधित विभागीय प्रमुखों को इन सभी का उचित समय में सत्यापन करने के आदेश दिए हैं। साथ ही इसमें शामिल व्यय के व्यापक आकलन के साथ उचित सावधानी बरती जानी बेहद जरूरी है जिससे कि किसी भी तरह की यह झूठी घोषणा नहीं लगे।

उपराज्यपाल की टिप्पणियों को गंभीरता से लेते हुए अब उनके मातहत सेवाएं विभाग ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर सभी विभागों को साफ कर दिया है। सेवाएं विभाग के उप-सचिव भैरव दत्त की ओर से इस संबंध में जारी कार्यालय ज्ञापन को दिल्ली सरकार के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/ विभागाध्यक्षों को भी भेजा गया है। इसमें साफ और स्पष्ट कर दिया है कि निजी मामलों पर विदेशी यात्राओं के लिए अनुमति मांगने वाले अधिकारियों के अनुरोध को पांच बिंदुओं पर जोर देते हुए सावधानीपूर्वक जांच करें।