दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस बीच राजधानी की आबोहवा की गुणवत्ता में कमी आने से लोगों की परेशानियों को देखते हुए केजरीवाल सरकार 13 नवंबर से ऑड-ईवन स्कीम लागू करने का ऐलान कर चुकी है। सरकार ने इसके गुण-दोष को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली सरकार ने बताया कि तुलनात्मक अध्ययन में पता चला है कि ऑड-ईवन योजना की अवधि के दौरान वाहन किलोमीटर यात्रा (VKT) में लगभग 6% की कमी आई, जो कि 37.80 लाख वाहन – किमी/दिन थी।
सरकार ने कहा- योजना से औसत ईंधन की खपत में 15% की कमी आई थी
हलफनामें दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि शहर में ऑड-ईवन योजना के दौरान वाहन कम चलने से ईंधन की खपत भी कम होगी। अनुमान है कि ऑड-ईवन योजना कार्यान्वयन के दौरान प्रति दिन औसत ईंधन की खपत में करीब 15% की कमी आई थी। दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (DIMTS) रिपोर्ट के निष्कर्षों ने मोटे तौर पर वाहनों द्वारा छोड़े गए वायु प्रदूषण में कमी के सकारात्मक प्रभाव का संकेत दिया है। इसके अलावा दिल्ली की सड़कों पर भीड़भाड़ में कमी के साथ-साथ ऑड-ईवन ड्राइव की अवधि के दौरान सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ी।
कोर्ट ने कहा था कि सरकार की योजना केवल दिखावे के लिए है
इससे पहले 7 नवंबर को सुनवाई के दौरान दो जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस एसके कौल ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, ”आपने कहा कि आपने ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करन जा रहे हैं। क्या यह पहले कभी सफल हुआ था? यह केवल दिखावे के लिए है। यही समस्या है।”
दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने वाले ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 38 फीसदी प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से निकला धुआं जिम्मेदार था। शहर में प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने की घटनाओं का योगदान बृहस्पतिवार को 27 फीसदी रहा, जबकि शुक्रवार को इसके 16 फीसदी रहने का अनुमान है।
आंकड़ों में परिवहन को भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बताया गया है, जो दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा में 12 से 14 फीसदी का योगदान दे रहा है। दिल्ली सरकार शहर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर से निपटने के लिए 20 या 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया अपनाने की योजना बना रही है।
