ओबीसी आरक्षण में 1900 जातियों को अलग से 8 से 10 फीसदी अतिरिक्त कोटा देने की तैयारी है। कमीशन ऑफ एग्जामिन सब-कैटेगोराइजेशन ऑफ ओबीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह मांग रखी है। यह समीति देश में ओबीसी आरक्षण की हालत क्या है और इसका किन-किन जातियों को फायदा पहुंच रहा है यह पता लगाने के लिए गठित की गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2633 जातियां जिन्हें ओबीसी आरक्षण प्राप्त है उनमें से 1900 जातियों को इसका फायदा नहीं मिल रहा। इन 1900 में से आधी जातियां ऐसी हैं जिन्हें आरक्षण के तहत नौकरियों और शिक्षा में मात्र 3 प्रतिशत फायदा हुआ है। वहीं बाकी बची जातियों को पिछले पांच साल में इसका कोई भी फायदा नहीं मिला। इन जातियों की रिजर्वेशन वाली नौकरियों में हिस्सेदारी 3% भी नहीं है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने जस्टिस (रिटायर्ड) जी रोहिनी की अध्यक्षता में 2 अक्टूबर 2017 को समीति का गठन किया था। फाइनल रिपोर्ट सौंपने के लिए कई बार समीति का कार्यकाल भी बढ़ाया गया। 31 मई को समीति को रिपोर्ट सौंपने का आखिरी दिन है। लेकिन समीति ने 31 मई से पहले ही अपनी रिपोर्ट को तैयार कर लिया है।

समीति से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, इन 1900 जातियों में से ज्यादात्तर आरक्षण का लाभ उठाने में इसलिए असमर्थ हैं क्योंकि वे संख्या में न्यूनतम हैं। इस असामनता को दूर करने के लिए ओबीसी कोटे में 8 से 10 फीसदी अतिरिक्त कोटा की सिफारिश की गई है। इससे कुल सीटों पर 2-3 फीसदी का फर्क पड़ेगा और यह दूसरी जातियों को प्रभावित भी नहीं करेगा। उदाहरण के तौर पर अगर अभी ओबीसी कोटे के तहत 270 सीटें आरक्षित हैं तो 1900 जातियों को इनमें से सिर्फ 7 सीटों पर ही आरक्षण का फायदा मिल रहा है। लेकिन अगर समीति की सिफारिश को मान लिया जाता है तो फिर 27 सीटों पर इन जातियों को आरक्षण का फायदा मिलेगा।

अधिकारी ने आगे कहा ‘अगर हम आईआईटी और आईआईएम जैसे शिक्षण संस्थानों में या आईएएस या आईपीएस की नौकरियों में इन जातियों के लिए एक निश्चित आरक्षण सुनिश्चित करते हैं तो यह उनके लिए बहुत मायने रखेगा।’