कोरोना महामारी के चलते जहां एक ओर अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है वहीं जिन कामगारों को नेशनल रुरल गारंटी स्कीम के तहत काम मिलता है उनकी संख्या 10 करोड़ से ऊपर चली गई है। यानी कि ग्रामीण क्षेत्र में काम की जबरदस्त मांग देखी जा रही है। NREGS पोर्टल के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में 10 जनवरी तक देशभर में 10 करोड़ से ज्यादा कामगार इस स्कीम के तहत काम कर रहे हैं। जो कि साल 2019-20 के 7.89 करोड़ के आंकड़े से 21 प्रतिशत ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष में अभी दो महीने बाकी हैं और यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। 2006 में योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 10 करोड़ की संख्या सबसे अधिक है। इससे पहले साल 2011-12 में 8.2 करोड़ कामगारों ने योजना का लाभ उठाया था।
पश्चिम बंगाल में इस वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक कामगारों की संख्या देखी गई है, जिसमें 1.07 करोड़ लोगों ने 10 जनवरी तक योजना का लाभ उठाया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (1.06 करोड़), राजस्थान (99.25 लाख), मध्य प्रदेश (91.62 लाख), आंध्र प्रदेश ( 77.57 लाख) और तमिलनाडु (75.37 लाख) का नंबर आता है।
MGNREGS के तहत, प्रत्येक ग्रामीण परिवार, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम करते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का वेतन रोजगार पाने का हकदार है। इस वित्तीय वर्ष में 10 जनवरी तक योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या 6.87 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 2019-2020 में 5.48 करोड़ परिवारों ने इस योजना का लाभ उठाया था।
चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत जारी किए गए नए जॉब कार्डों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जो कि दोगुने से भी अधिक है। अब तक, 1.49 करोड़ परिवारों (या 2.68 करोड़ व्यक्तियों) को नए जॉब कार्ड मिले हैं। इससे पहले 2019-20 में 68.26 लाख परिवारों को कार्ड मिले थे।
नरेगा पर इस समय सरकार अब तक का सबसे अधिक खर्च कर रही है। आवंटित 1 लाख करोड़ रुपए में से 87,520 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कोविड के चलते घोषित आर्थिक पैकेज के तहत सरकार ने अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये इस योजना के लिए दिए। केंद्रीय बजट 2020-21 में भी नरेगा के लिए 61,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस बढ़ोतरी के साथ, NREGS बजट ने पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है।
