हरियाणा के नूंह जिले में विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और बजरंग दल की रैली के बाद हुई हिंसा को लेकर नूंह के विधायक आफताब अहमद ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात की है। उनका कहना है कि यह अचानक हुई हिंसा नहीं बल्कि कई विवादित बयानों और भड़काऊ हरकतों के बाद ऐसा हुआ है। उनके मुताबिक पहले ही जिला प्रशासन को इससे अवगत करा दिया गया था कि जिले के 30-40 गांवों से मुसलमानों को जबरन पलायन करने पर मजबूर किया गया है।
‘जब हिंसा हुई मैं दिल्ली में था’
आफताब अहमद ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताया कि 31 जुलाई को जिस वक्त हिंसा शुरू हुई वह पार्टी के एक कार्यक्रम में दिल्ली में मौजूद थे। उन्होंने बताया, “दोपहर के करीब 1.30 बजे थे, मैं एक पार्टी कार्यक्रम के लिए दिल्ली में था। मुझे जो पहला फोन कॉल आया वह एसपी (पलवल) का था। उस दिन उनके पास नूंह का अतिरिक्त कार्यभार था। उन्होंने मुझे बताया कि शहीदी पार्क में कुछ लोग जमा हो गए हैं और स्थिति तनावपूर्ण होती जा रही है, उसके बाद मुझे अन्य लोगों के फोन आने लगे, जिनमें जिला प्रशासन के कुछ लोग भी शामिल थे। उन्होंने मुझे बताया कि एक बड़ी भीड़ जमा हो गई है,
करीब एक घंटे बाद हिंसा की खबरें आने लगीं, करीब साढ़े तीन-चार बजे मुझे डीजीपी पीके अग्रवाल का फोन आया, उन्होंने मुझे बताया कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है और भारी हिंसा हुई है। मैं उस गुड़गांव पहुंच गया था और मैं तुरंत नूंह चला गया।”
उन्होंने आगे बताया, “मैंने देखा कि हर जगह पथराव हो रहा था और वाहनों में आग लगा दी गई थी, मैं घंटों तक लोगों से शांत रहने की अपील करता रहा, मैंने कई बार डीजीपी से बात की, हमारे साथ ग्राउंड पर एडिशनल डीजीपी ममता सिंह मौजूद थीं, अब इलाके में शांति बहाल की जा रही है।” उन्होंने ताओरू की ताज़ा घटना का जिक्र किया जहां दो मस्जिदों में पेट्रोल बम फेंके जाने की खबर सामने आई थी।
‘पहले नूंह में कभी ऐसी हिंसा नहीं हुई, लेकिन इसका अंदाज़ा हो गया था’
विधायक आफताब अहमद ने बताया कि ऐसा नूंह में पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा, “यहां के लोग शांति, सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह होने वाला था, ये तो हर कोई जानता था, पहला ट्रिगर खेड़ा खलीलपुर निवासी आसिफ की हत्या थी। उनकी हत्या को कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया था और प्रसारित किया गया था। पुलिस ने दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की थी, फिर भी आसिफ के आरोपियों के समर्थकों ने एक पंचायत की जिसमें वे मुस्लिम समुदाय को धमकाते रहे।”
यह मामला 16 मई, 2021 को नूंह के खेड़ा खलीलपुर गांव के निवासी आसिफ खान की हत्या जुड़ा है। इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं। मुकदमा अभी भी चल रहा है।
आफताब अहमद ने आगे कहा, “हमारे समुदाय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी,हम दोषियों के लिए कानून के मुताबिक सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित करना चाहते थे, हम शांत रहे बाद में एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि हमारे क्षेत्र में लव जिहाद की घटनाएं हुई हैं, हम इसके खिलाफ भी कोर्ट गए लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ, फिर गो हत्या के नाम पर यहां लोगों को मारा गया और वीडियोज़ अपलोड कर पूरे समुदाय को चिढ़ाया गया।”
‘हमने मोनू मानेसर को लेकर पुलिस को चेताया था’
आफताब अहमद ने बताया कि इस यात्रा से एक दिन पहले पुलिस को इस मोनू मानेसर के बारे में सतर्क किया था और उन्हें उसके द्वारा पोस्ट किए जा रहे वीडियोज़ के बारे में सूचित किया था। फिर भी इस तरह के टकराव से बचने के लिए कोई उचित इंतजाम नहीं किए गए और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।