प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा ने रिटायरमेंट की इच्छा व्यक्त की है। मिश्रा के इस निर्णय पर पीएम ने उन्हें कहा है कि वह दो हफ्ते और अपने पद पर बने रहें। सरकार ने शुक्रवार (30 अगस्त 2019) को जानकारी दी। सितंबर के दूसरे हफ्ते से मिश्रा कार्यमुक्त हो जाएंगे। मोदी ने मिश्रा से दो सप्ताह तक पद पर बने रहने को कहा है। मिश्रा 2014 से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में मोदी के साथ रहे हैं। पीके सिन्हा को पीएमओ में ओएसडी नियुक्त किया गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि जब वह प्रधानमंत्री के पद पर दिल्ली में नए थे तो मिश्रा ने उन्हें कई चीजें सिखायीं। पीएम ने प्रधान सचिव को जीवन की नई पारी के लिए शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट भी किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा ‘श्री नृपेंद्र मिश्रा बेस्ट नौकरशाहों में से एक हैं जिनकी सार्वजनिक नीति और प्रशासन पर गहरी समझ है। जब 2014 में दिल्ली में नया था लेकिन वे दिल्ली की शासन-व्यवस्था से वे भली-भांति परिचित थे। उस परिस्थिति में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं। उन्होंने मुझे ढेर सारी चीजें सिखायीं और उनका मार्गदर्शन सदैव बहुमूल्य रहेगा।’

उन्होंने आगे कहा ‘2019 के चुनाव नतीजे आने के बाद श्री नृपेंद्र मिश्रा जी ने खुद को प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवामुक्त किए जाने का अनुरोध किया था। तब मैंने उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया था। अब श्री नृपेंद्र मिश्रा जी के सेवामुक्त होने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। वे अपनी इच्छा के अनुरूप सितंबर के दूसरे हफ्ते से कार्यमुक्त हो जाएंगे। आगे के लिए आपको शुभकामनाएं।’

टॉप लेवल के नौकरशाह मिश्रा उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के आईएसएस हैं। वह 2006 से 2009 के बीच टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई के चेयरमैन पर भी रह चुके हैं। 2007 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश ट्राई ने उनकी अध्यक्षता में ही दी थी। पीएम मोदी के करीबी नौकरशाहों में से एक मिश्रा का करियर लंबा और असाधारण रहा है। वह वित्त मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर काम कर चुके हैं। वह पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट हैं और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया हुआ है।

नियुक्ति पर बवाल तो सरकार ने अध्यादेश ला नियम बदला: 2009 में ट्राई चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए क्योंकि ट्राई के नियमों के मुताबिक इसके अध्यक्षों और सदस्यों को रिटायरमेंट के बाद केंद्र और राज्य सरकार में किसी पद पर नियुक्त करना गैर-कानूनी होता था। सरकार ने अध्यादेश लाकर इस कानून में ही बदलाव कर दिया था।