National Register of Citizens (NRC) की फाइनल लिस्ट शनिवार को जारी कर दी गई। 19 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिली है। हालांकि, एनआरसी के नतीजों ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस अभूतपूर्व कोशिश से निकले नतीजे बीजेपी के ऐतिहासिक दावों से काफी दूर है। इस वजह से पार्टी की प्रदेश यूनिट भी काफी असंतुष्ट है।
एक वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र ने बताया कि जिन लोगों को लिस्ट में जगह नहीं मिली है, उन्हें डिपोर्ट करने का कोई विचार नहीं है। अधिकारी ने यह भी कहा कि इस कवायद को अब दूसरे राज्यों में शुरू करने की कोशिश नहीं की जाएगी। सूत्र ने असम बीजेपी की निराशा का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस कवायद और इसके नतीजों को देखते हुए, यह मान लेना सही होगा कि एनआरसी को देश के दूसरे हिस्सों में नहीं लागू करने की कोशिश नहीं की जाएगी। यह समस्या भरा, खर्चीला और निरर्थक प्रयास है।’
बता दें कि बीजेपी बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की समस्या बीते दो दशकों से उठाती रही है। 2003 के बाद से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पास प्रस्तावों में कम से कम 17 बार इस मुद्दे को जगह मिली है। पार्टी ने इसे अपने दूसरे कोर एजेंडे मसलन आर्टिकल 370 को खत्म करने, राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड के जैसे ही अहमियत दी है।
असम बीजेपी नेताओं ने एनआरसी के आंकड़ों को खामियों से भरा करार दिया है। वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सूची में और अवैध प्रवासियों के नाम होने चाहिए थे। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह अवैध प्रवासियों को ‘दीमक’ बता चुके हैं। उन्होंने अवैध प्रवासियों को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी बताया था।
वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी ने 2003 में देश में अवैध प्रवासियों की संख्या करीब 10 लाख बताई थी। नवंबर 2016 में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने राज्यसभा में बताया था कि भारत में अवैध ढंग से करीब 2 करोड़ बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे थे।
आडवाणी हों या शाह, बीजेपी अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश प्रत्यर्पित करने की बात करते रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने कम से कम दो मौकों संकेत दिए कि लिस्ट से बाहर हुए लोगों को डिपोर्ट करने की कोई योजना नहीं है। 4 अगस्त 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष से बातचीत के दौरान आश्वासन दिया था कि डिपोर्टेशन कोई मुद्दा नहीं है। वहीं, वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी हालिया ढाका यात्रा के दौरान कहा कि एनआरसी एक आंतरिक मामला है। इससे इस बात के संकेत मिले कि अवैध प्रवासियों को प्रत्यर्पित करने की योजना नहीं है।
सरमा ने कहा कि अभी खेल खत्म नहीं हुआ और पार्टी अंत तक यह सुनिश्चित करेगी कि एक भी सही शख्स लिस्ट से बाहर न हो जबकि किसी भी विदेशी को इसमें जगह न मिले। उन्होंने कहा कि बीजेपी और राज्य सरकार सीमाई जिलों में ‘पुनर्सत्यापन’ के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। सरमा के मुताबिक, असम में लोग खुश नहीं हैं क्योंकि बाहर हुए लोगों की संख्या उम्मीद से काफी कम है।