राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर असम की बीजेपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में निशाने पर है। हाल ही में कोर्ट ने राज्य सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि वह इस मामले को जबरन खींच रही है। मामले से जुड़ी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मंगलवार (नौ अप्रैल, 2019) को भी असम के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाई।

दरअसल, स्थानीय आबादी में घुल-मिल चुके विदेशी घोषित हो चुके लोगों के बारे में पता लगाने में नाकाम रहने पर अदालत ने चीफ सेक्रेटरी से सवाल पूछे। इस पूछताछ से अधिकारी न केवल हड़बड़ा गए बल्कि उनकी जुबान भी लड़खड़ाने लगी। चीफ सेक्रेटरी ने माना कि इस मामले में सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। इस पर अदालत ने अधिकारी से कहा कि वह लिखित में दें कि सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है।

इससे पहले, 1 अप्रैल को हुई सुनवाई में राज्य के मुख्य सचिव की अनुपस्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार को फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने सचिव को अगली तारीख पर मौजूद रहने के लिए कहा था। साथ ही यह भी कहा था कि वह बेवजह इस मामले को घसीट रहे हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि इस मामले को सुलझाने की दिशा में राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है।

बता दें कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष यह कबूल किया था कि करीब 70 हजार शरणार्थी स्थानीय आबादी में मिल गए हैं। असम सरकार कोर्ट को यह बताने में भी नाकाम रही थी कि इन लोगों के बारे में पता लगाने की दिशा में क्या कदम उठाए गए?

पिछले साल जारी एनआरसी मसौदे में करीब 40 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था। लोगों में मची घबराहट के बाद सरकार ने यह सफाई दी थी कि वह मसौदा फाइनल नहीं है। जिनके नाम इसमें नहीं हैं, उनके लिए कई विकल्प मौजूद हैं।