शुक्रवार की प्रार्थना शुरू होने से ठीक पहले मुस्लिमों को एक असामान्य सलाह जारी की गई, जिसमें कहा गया कि अपने आईडी पेपर इकट्ठा करें, उन्हें तैयार रखें। इतना ही नहीं इन दस्तावेज़ों में समान वर्तनी सुनिश्चित करने के लिए इन दस्तावेज़ों में समान वर्तनी सुनिश्चित करने के लिए शेयर किया गया है। उर्दू में एक गाइड बुक जारी की गई है जिसके एक महीने से भी कम समय में अपने तीसरे संस्करण में चली गई है।

बेंगलुरु से कोलकाता और मुंबई से हैदराबाद तक, मस्जिद, मुस्लिम समूह, वकील और कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए दौड़ रहे हैं कि समुदाय के सदस्यों के पास उनके सही पहचान दस्तावेज हो। उन्हें दर है कि इस वर्ष असम में हुए एनआरसी में अपना रिकॉर्ड सही से न रखने या कोई दस्तावेज़ न होने के चलते कई लोगो को ठग लिया गया। इस एनआरसी में 19,06,657 लोगों को अंतिम सूची में बाहर रखा गया।

बेंगलुरु की जामिया मस्जिद के इमाम मौलाना इमरान मकसूद ने कहा, “पिछले तीन महीनों से हमने लोगों से पहचान के दस्तावेजों में त्रुटियों या बेमेल दस्तावेजों को सुधारने के लिए कहा है।” आम तौर पर ज़्यादातर लोगों के दस्तावेजों में वर्तनी की त्रुटियां हैं, मकसूद ने कहा कि मोहम्मद नाम कई तरीकों से लिखा जा सकता है। फिर बुजुर्ग लोग हैं, जिनकी जन्म तिथि अलग-अलग दस्तावेजों में भिन्न होती है, केवल इसलिए कि वे घर पर पैदा हुए थे, और कोई भी सटीक रिकॉर्ड नहीं रखता।” उन्होंने कहा “कर्नाटक में लगभग 1,800 मस्जिदें हैं। प्रत्येक शुक्रवार की प्रार्थना के अंत में एक संदेश जागरूकता फैलाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।”

बता दें नागरिकता (संशोधन) कानून लागू होने के बाद से देश के कई राज्यों में इसका विरोध किया जा रहा है। कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे लोग हिंसक भी हो गए हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार राज्य में एनआरसी का संचालन नहीं होने देगी, लेकिन सीएबी के पारित होने के साथ ही फिर से चिंताएं बढ़ गई हैं। बंगाल मुस्लिम संगठनों और कार्यकर्ताओं ने पंफलेट वितरित करना जारी कर दिया है, ताकि लोगों अपने दस्तावेज़ और आईडी संभाल के रखें। बांटे जा रहे पैम्फलेट्स में लिखा है कि NRC के लिए तैयार रहो… सुनिश्चित करें कि आपके दस्तावेजों में वर्तनी और अन्य विवरण सही हैं।