जमीन पर लागू होने वाली परियोजनाओं के बीच में फंसने का सबसे बड़ा कारण जमीन ही होती है। केंद्र सरकार की सड़क व परिवहन मंत्रालय की योजनाएं ऐसे किन्हीं कारणों से बीच में नहीं फंसे, इसके लिए अब नई नीति के तहत काम होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक योजना शुरू करने के लिए 80 फीसद जमीन का आबंटन जरूरी होगा। 80 फीसद आबंटन होने के बाद ही नई परियोजनाओं पर काम शुरू किया जाएगा। केंद्र सरकार इस पहल से मंत्रालय और बनाओ, चलाओ और हस्तांतरित (बीओटी) के आधार फंसने वाली योजनाओं को ठीक करने के लिए यह नीति तैयार की है।
इस पहल से गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा
मंत्रालय के मुताबिक योजना लागू नहीं हो पाने से सरकार और ठेकेदार दोनों का ही पैसा फंसता है। इस पहल से ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा। इसके अतिरिक्त आम जनता के लिए सड़क व परिवहन योजनाएं सही समय पर उपलब्ध हो सकेंगी। मंत्रालय इस समय देश भर में सड़कों का जाल बिछाने की योजनाओं पर काम कर रहा है।
इन योजनाओं को और तेजी से लागू किया जा सके, इसके लिए राज्य के हिसाब से योजनाओं के प्रारूप भी तैयार किए हैं ताकि चुनावी कारणों की वजह से योजनाओं में होने वाली देरी को कम किया जा जा सके। ऐसे मार्ग जहां पर किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं है, उन राज्यों की विस्तृत कार्य योजना (डीपीआर) को सबसे पहले तैयार किया जाएगा।
भारत माला परियोजना के तहत चल रहा है देश में कार्य
भारत माला परियोजना इस समय केंद्र सरकार की सबसे बड़ी योजना है। इस योजना को वक्त पर लागू किया जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने यह नीतिगत बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत केवल पहले चरण में 34,800 किलोमीटर की राजमार्ग परियोजना पर काम किया जा रहा है, जो कि देश के 31 राज्यों को आपस में राजमार्ग के माध्यम से जोड़ेगी।
इसका लाभ 550 जिलों को होने वाला है। अब तक इस परियोजना के तहत केंद्र सरकार ने 27,384 किलोमीटर मार्ग निर्माण का कार्य सौंपा है। केंद्र सरकार के मुताबिक इस योजना का पहला चरण वर्ष 2027-28 तक पूर्ण किया जाना है। भारत माला परियोजना का मकसद देश के राज्यों के बीच में सड़क परिवहन की सेवाओं का विस्तार करना है। मंत्रालय के मुताबिक देश में करीब 66.71 लाख किलोमीटर राजमार्ग का जाल बिछा हुआ है।
इनमें 1,46,145 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 1,70,535 किलोमीटर राज्य राज्यमार्ग और 63,45,403 अन्य एजंसियों के मार्ग शामिल हैं। यह सड़कों का जाल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जाल है। 2014 में ये मार्ग केवल 91287 किलोमीटर जो अब साठ फीसद तक बढ़ गया है।
2037 तक 50 हजार किलोमीटर उच्च रफ्तार वाले मार्ग की तैयारी
मंत्रालय के मुताबिक 2037 देश में उच्च रफ्तार वाले राजमार्ग के निर्माण किए जाने की योजना है। इसके तहत करीब पचास हजार किलोमीटर उच्च रफ्तार वाले मार्ग देश में होंगे और देश में ऐसे मार्ग का जाल बिछा होगा। इनका उपयोग करते हुए वाहन चालक आसानी से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक जा सकेंगे। इसके लिए एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है।
दिल्ली-मुंबई गलियार बनते ही जुड़ जाएगा जेवर हवाई अड्डा
केंद्र सरकार दिल्ली और मुंबई तक का सफर आसान बनाने की योजना पर काम कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि मार्च तक इस मार्ग का दिल्ली से सूरत तक का हिस्सा बनकर तैयार हो जाएगा। इस कार्य को ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति’ योजना के तहत काम किया जा रहा है। इस राजमार्ग का काम पूर्ण होने पर मंत्रालय मार्ग पर जेवर हवाई अड्डे के लिए भी राह देगा। इससे जेवर हवाई अड्डा जाना आसान हो जाएगा।