लगभग ढाई साल के तय समय में नई संसद का निर्माण पूरा होने के बाद अब उपराष्ट्रपति एन्क्लेव, सामान्य केंद्रीय सचिवालय भवनों, रक्षा एन्क्लेव, सांसदों के कक्ष और प्रधानमंत्री के नए आवास (पीएमओ) और कार्यालय के निर्माण में तेजी आएगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच पुराने संसद के बिल्कुल नजदीक नया संसद निर्माण बड़ी चुनौती था। अगले चरण में निर्माण में ऐसी तकनीकी दिक्कतें कम हैं और इस जगहों का काम अब तेजी से हो सकेगा।
पहले चरण में मंत्रालय विजय चौक से इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का पुनर्विकास पूरा कर चुका है। इस मार्ग को पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद मार्ग का नाम भी बदलकर ही कर्तव्य पथ किया गया है। नई संसद का निर्माण कार्य केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने पुनर्विकास योजना के तहत किया है। इसके निर्माण की प्रक्रिया सितंबर 2020 में शुरू हुई थी और इस पर अनुमानित खर्च 861 करोड़ रुपए था, लेकिन बाद में किए गए बदलावों की वजह से निर्माण का खर्च बढ़ा है।
कुछ परिवर्तनों के कारण लागत में मामूली वृद्धि हुई। अब अवसंरचना फर्म ‘लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड’ 1,189 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), मंत्रिमंडल सचिवालय, इंडिया हाउस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के एक्जीक्यूटिव एन्क्लेव का निर्माण कर रही है। कंपनी को पिछले साल नवंबर में निविदा दी गई थी और यह कार्य आगामी 24 माह में पूर्ण होना है। तय योजना के मुताबिक एग्जिक्यूटिव एन्क्लेव साउथ ब्लाक के दक्षिण की ओर बनेगा। इंडिया हाउस का उपयोग हैदराबाद हाउस की तरह एक सम्मेलन केंद्र के रूप में किया जाएगा।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इन भवनों को पूरा करने के लिए ढाई साल की समयसीमा तय की है। सामान्य केंद्रीय सचिवालय के तहत, सरकार 10 भवनों का निर्माण करने की योजना बना रही है जिसमें मंत्रालय और अन्य कार्यालय होंगे। आवास मंत्रालय के मुताबिक, विभिन्न सरकारी कार्यालयों के किराए पर सालाना 1,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं और सामान्य केंद्रीय सचिवालय से इस राशि की बचत होगी। शास्त्री भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन और रेल भवन उन अन्य इमारतों में शामिल हैं जिन्हें सामान्य केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए गिराए जाने की संभावना है।
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नार्थ और साउथ ब्लाक, जो लुटियंस दिल्ली में अपनी स्थापना के बाद से सरकारी प्राधिकरण का प्रतीक हैं, उनको राष्ट्रीय संग्रहालयों में परिवर्तित किया जाएगा। सरकार की योजना सांसदों के लिए कक्ष बनाने की भी है जो उस भूमि पर बनेंगे जहां परिवहन भवन और श्रम शक्ति भवन स्थित हैं। सरकार कर्मियों और रक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों के रहने के लिए एक बड़ा ‘डिफेंस एन्क्लेव’ भी स्थापित करेगी। एन्क्लेव के निर्माण के लिए उपराष्ट्रपति के आवास और इसके आसपास की इमारतों को ध्वस्त किया जाएगा। इसी प्रकार जून 2024 तक भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) की नई इमारत का निर्माण किया जाएगा। सेंट्रल कांफ्रेंस सेंटर दिसंबर 2026 तक बनाया जाना है।