इलेक्शन कमिनश्नर अशोक लवासा के बेटे अबीर लवासा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत जांच शुरू की है। ईडी की जांच के घेरे में वो कंपनी है, जिसमें अबीर डायरेक्टर हैं। आरोप है कि कंपनी ने फॉरेन एक्सचेंज से जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया। सूत्रों ने कहा कि ईडी उस 7.5 करोड़ रुपये की रकम के बारे में पता लगा रही है जो नौरिश आर्गनिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को  मार्च 2019 में सामा कैपिटल से हासिल हुई थी।

सामा कैपिटल एक मॉरिशस की कंपनी है। इसने कई भारतीय स्टार्ट अप मसलन-पेटीएम, चायपॉइंट, विस्तार (NBFC), स्नैपडील और एसकेएस माइक्रोफाइनेंस में निवेश किया है। वहीं, अबीर नौरिश ऑर्गनिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड में 14 नवंबर 2017 से डायरेक्टर हैं। बीते हफ्ते ईडी ने अबीर लवासा को जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए समन भेजा। शुक्रवार को अबीर पहुंचे थे। उन्हें फंड्स से जुड़े कागजात मुहैया कराने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। बताया जा रहा है कि ईडी ने सामा कैपिटल के डायरेक्टर को भी समन भेजे हैं।

ईडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘लवासा जिस कंपनी में डायरेक्टर हैं, उसमें निवेश के संदर्भ में यह जांच की जा रही है। कंपनी नुकसान में है, फिर भी उसे भारी निवेश हासिल हुआ है। इसलिए हम उनसे (अबीर लवासा) पूछताछ करना चाहते हैं।’ वहीं, संपर्क करने पर अबीर लवासा ने कहा, ‘हां, समन पिछले हफ्ते मिला है। हम जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।’ हालांकि, अबीर ने विस्तार से कुछ बताने से इनकार कर दिया।

ईडी की इस जांच से कुछ महीने पहले ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नौरिश ऑर्गनिक फूड्स लिमिटेड के खातों की जांच की थी। इस कंपनी में अबीर के 10 हजार शेयर हैं। आईटी विभाग ने अगस्त महीने में कंपनी को नोटिस भेजा था। इससे पहले, 25 सितंबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर छापी थी कि लवासा के परिवार के तीन सदस्यों जिनमें उनकी पत्नी भी शामिल हैं, के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जांच कर रहा है। इन पर आमदनी की घोषणा न करने और आय से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप है। अबीर लवासा की कंपनी के अलावा उनकी बहन शकुंतला लवासा को भी नोटिस मिल चुके हैं।

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वहीं, 29 अगस्त को सरकार ने 11 पीएसयू को चिट्ठी लिखकर यह पता लगाने के लिए कहा था कि कहीं चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने विद्युत मंत्रालय में अपने 2009 से लेकर 2013 तक के कार्यकाल में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करके कुछ कंपनियों को फायदा तो नहीं पहुंचाया। संयोग से लवासा चुनाव आयोग के उन तीन आयुक्तों में से एक हैं, जिसने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चुनाव प्रचार के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने के आरोपों में क्लीनचिट देने का विरोध किया था।