कैराना की तर्ज पर बजरंग दल के प्रांतीय मंत्री विकास त्यागी ने 40 ऐसे परिवारों की सूची जारी की है जो आपराधिक तत्त्वों के भय से देवबंद से पलायन कर गए हैं। यह सूची प्रशासन को मिल गई है। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
सीओ योगेंद्र पाल सिंह एवं कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विजय प्रकाश सिंह की अगुवाई में पुलिस दल ने प्रात: छह बजे से 10 बजे तक घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर स्थिति की जानकारी ली। उनके साथ एक कंपनी पीएससी भी थी। एसडीएम भानू प्रताप सिंह यादव ने कहा कि देवबंद में लोगों में न तो भय व्याप्त है और न ही यहां किसी तरह का परोक्ष या अपरोक्ष तनाव दिख रहा है। पुलिस अहतियातन सर्तक है। देवबंद में अर्द्धसैनिक बलों की पहले से ही दो कंपनियां मौजूद हैं जो रूटीन गश्त करती हैं। बजरंग दल ने जो सूची जारी की है, उसमें शामिल कई लोग शुक्रवार को अपने घरों पर मौजूद मिले। कई ने सूची में अपना नाम देखकर हैरत जताई।
मोहल्ला जनकपुरी के जगदीश बंसल ने बताया कि उनके दो भाई जयप्रकाश और सत्यप्रकाश बंसल व्यावसायिक कारणों से देहरादून चले गए हैं जबकि उनके परिवार के कई सदस्य यही पर रह रहे हैं। रुड़की के मूल निवासी पूर्व स्कूल प्रधानाचार्य सतीश चंद गर्ग सेवानिवृत्त होने के बाद 22 वर्ष पूर्व पहले मुजफ्फरनगर चले गए। जहां से वह कुछ वर्ष पूर्व वापस रुड़की अपने पैतृक मकान में चले गए। सूची में दर्शाएं गए सतीश चंद क्रेशर वालों की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
उनके दोनों लड़कों का भी स्वगर्वास हो चुका है। दो-तीन सिख परिवार तजेंद्र कपूर उनके भाई गौरी सहारनपुर कपड़े के कारोबार में लगे हैं। उनके परिवारों के कई सदस्य देवबंद में निवास करते हैं। पुलिस जांच में पता चला है कि किसी भी व्यक्ति ने रंगदारी मांगे जाने या अन्य किसी तरह की धमकी और उत्पीड़न की शिकायत नहीं की है। पुलिस इंस्पेक्टर विजय प्रकाश ने बताया कि लोगों ने अपने घरों पर उनका स्वागत किया और कहा कि पिछले आठ-नौ माह से लोग सुकून महसूस कर रहे हैं। प्रकाश ने कहा कि पुलिस गुंडों और उन्हें संरक्षण देने वालों समेत किसी को भी नहीं बख्शेगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि उन्हें किसी तरह की कोई शिकायत एवं परेशानी है तो वे उनसे किसी भी समय संपर्क कर सकते हैं।
कैराना से हिंदुओं के कथित पलायन को लेकर क्षेत्र में शुक्रवार को तनाव बढ़ गया। कैराना की सीमाओं को सील कर दिया गया है। शामली जिला और कैराना के सीमावर्ती इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर अर्द्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया गया है। प्रशासन ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा मामले में आरोपी व भाजपा विधायक संगीत सोम की ‘निर्भय यात्रा’ और समाजवादी पार्टी के नेता अतुल प्रधान की ‘सद्भावना यात्रा’ रोक दी है। सोम ने प्रदेश सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया कि वह पलायन किए परिवारों को वापस लाए। उधर प्रदेश सरकार की सपा सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि पांच ‘गैर राजनीतिक व्यक्ति’ कैराना का दौरा करें और वास्तविकता की जांच करें।
मेरठ के जिलाधिकारी पंकज यादव ने कहा कि सोम ने सरधना स्थित अपने घर से हजारों समर्थकों के साथ कैराना के लिए मार्च निकाला लेकिन स्थिति को ध्यान में रखकर शहर की सीमा पर उन्हें रोक दिया गया। एहतियात के तौर पर पुलिस और पीएसी को काफी संख्या में तैनात किया गया है। धारा 144 लागू है। इस स्थिति में किसी को भी कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शामली के जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने कहा कि कैराना सहित शामली जिले में एहतियाती आदेश जारी किए गए हैं और बिना अनुमति के नेताओं के साथ किसी भी मार्च या यात्रा को अनुमति नहीं दी जाएगी।
कैराना में सभी प्रवेश बिंदुओं को सील कर दिया गया है और सुरक्षा अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। सोम ने कहा कि निषेधाज्ञा के बाद उन्होंने अपनी ‘निर्भय’ रैली स्थगित कर दी। उन्होंने कहा, ‘हमने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। सरकार या तो पलायन कर गए लोगों को वापस लाए या हम सड़कों पर उतरेंगे। अगर 15 दिनों में पलायन कर गए लोग नहीं लौटते हैं तो हम चेतावनी देते हैं कि कोई भी भाजपा कार्यकर्ताओं को कैराना या दूसरे जगहों पर जाने से नहीं रोक पाएगा।’ यह चेतावनी ऐसे समय में दी गई है जब शामली जिला प्रशासन ने कथित तौर पर पाया है कि अपराधियों के डर से केवल तीन परिवारों ने कैराना छोड़ा जबकि बताया जाता है कि 346 परिवार अत्याचार के कारण ‘फरार’ हो गए। उधर मेरठ से भाजपा के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने दावा किया है कि कस्बा किठौर में भी हिंदूओं ने खासी तादाद में पलायन किया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार मुजफ्फरनगर दंगे के बाद एक विशेष संप्रदाय पर खास मेहरबानी न दिखाती तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हालात इतने न बिगड़ते।
सपा नेता अतुल प्रधान ने कहा कि उनकी सदभावना यात्रा का उद्देश्य हिन्दू-मुस्लिम को साथ लेकर चलाना था जबकि भाजपा ने विधानसभा चुनाव नजदीक देख अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। लव जेहाद, धर्मांतरण और अब कैराना जैसे मामलों को उठा कर हिन्दू-मुस्लिम के बीच कटुता फैलाई जा रही है। उन्होंने भाजपा के संगीत सोम पर आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी ‘निर्भय यात्रा’ निकालकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। सोम पर पलटवार करते हुए सपा प्रवक्ता व प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने ‘पलायन’ के आरोपों को खारिज कर दिया। यादव ने प्रस्ताव दिया कि पांच ‘गैर राजनीतिक व्यक्ति’ कैराना का दौरा करें और वास्तविकता की जांच करें।
उन्होंने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, ‘हम सुझाव देते हैं कि प्रमोद कृष्णन, स्वामी कल्याण, नारायण गिरि, स्वामी चिन्मयानंद और स्वामी चक्रपाणि वहां जाकर वास्तविकता देखें और रिपोर्ट दें।’ शिवपाल यादव ने कहा कि चाहे संगीत सोम हों या कोई और राज्य सरकार किसी को भी दंगे की साजिश नहीं बनाने देगी। हम उनके खिलाफ सबूत जुटाएंगे और जल्द ही मीडिया के समक्ष उनका भंडाफोड़ करेंगे।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी का कहना है कि संगीत सोम की मंडली ने ही मुजफ्फरनगर कांड कराया था। अब फिर आग लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मामले में अखिलेश सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वरना हमारा आरोप सही साबित होगा कि भाजपा और सपा दोनों पार्टियां मिली हुई हैं। माकपा के नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि पलायन का कारण सांप्रदायिक नहीं है। हिंदू और मुसलमान दोनों पलायन कर रहे हैं। वहां लोग आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रशासन की कमी की शिकायत करते हैं। उन्होंने भाजपा से अपने दावे के लिए माफी मांगने को कहा।