आम आदमी पार्टी की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। दूसरे दलों के खिलाफ स्टिंग आॅपरेशन करने के लिए मशहूर अरविंद केजरीवाल खुद ही विवादित बयानों के साथ आडियो टैप में कैद हो गए हैं। केजरीवाल हमेशा लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ स्टिंग आॅपरेशन करने के लिए प्रेरित करते थे। अब विडंबना यह है कि आप ही के अंदर से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ स्टिंग निकला। इन घटनाक्रमों के बीच केजरीवाल से आहत होकर महाराष्ट्र में आप का चेहरा रहीं अंजलि दमानिया ने पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया।

आप के पूर्व विधायक राजेश गर्ग ने बुधवार को आरोप लगाया है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कांग्रेस विधायकों के संपर्क में थे और उन्हें एक नया राजनीतिक दल बनाने और बाहर से आप का समर्थन करने के लिए उकसा रहे थे क्योंकि केजरीवाल दोबारा विधानसभा चुनाव के हक में नहीं थे। गर्ग के इस तरह के आरोपों के बीच एक आडियो टैप सामने आया है, जिसमें केजरीवाल और रोहिणी के पूर्व विधायक गर्ग के बीच कथित बातचीत दर्ज है। इसमें आप नेता को कांग्रेस में फूट डालने के बारे में बात करते सुना जा सकता है।

गर्ग के साथ बातचीत में केजरीवाल कथित रूप से यह कहते हुए सुने जा सकते हैं-हम सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस हमारा समर्थन करने को तैयार नहीं है। मनीष (सिसोदिया) कांग्रेस के साथ संपर्क में है। एक काम करें, कांग्रेस में फूट डालें और छह विधायकों से नई पार्टी बनाने और हमारा समर्थन करने के लिए कहें।


पिछली विधानसभा में कांग्रेस के आठ विधायक थे और दलबदल कानून के प्रावधानों से बचने के लिए पार्टी से अलग होने वाले समूह में कम से कम छह विधायकों का होना जरूरी था। आडियो टैप में केजरीवाल कथित रूप से गर्ग से कह रहे हैं-कांग्रेस हमारा समर्थन नहीं करेगी। हम पिछले डेढ़ महीने से कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के इन छह विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे दिया होता, लेकिन इनमें से तीन मुसलिम हैं। वे भाजपा का समर्थन नहीं करेंगे। छह विधायक हमारा समर्थन करेंगे।

केजरीवाल की कथित बातचीत की रिकॉर्डिंग पिछले साल जुलाई में की गई थी जब आम आदमी पार्टी दिल्ली में ताजा चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रही थी। गर्ग ने 2015 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। गर्ग ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि उन्होंने केजरीवाल की बातों को अलग से रिकॉर्ड नहीं किया था।

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उन्होंने बताया कि एक ऐप्लीकेशन के जरिए उन्होंने सारी बातचीत को अपने फोन में रिकॉर्ड किया जैसा कि पत्रकार करते हैं। मैंने इस रिकॉर्डिंग को जारी नहीं किया था। कुमार विश्वास के मांगने पर यह मैंने उन्हें दे दिया था। यह तो मैं भी जानना चाहता हूं कि यह बाहर कैसे निकला। मैं सबूत के तौर पर इसे किसी के भी सामने पेश कर सकता हूं, खास तौर पर पार्टी के लोकपाल के सामने। और अगर जांच में मेरे खिलाफ कुछ भी पाया गया तो मैं किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार हूं। वहीं, कुमार विश्वास ने गर्ग पर पलटवार करते हुए कहा कि वे पार्टी के टिकट की एवज में उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थे ।

इससे पहले आप में जिन लोगों ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निशाना बनाया उन्होंने एक पत्रकार और केजरीवाल के सहयोगी वैभव कुमार के बीच की बातचीत को भी रिकॉर्ड किया था। यह यादव के खिलाफ सबूत के तौर पर पेश किया गया कि उन्होंने आप के राष्ट्रीय संयोजक के खिलाफ खबरों का खेल खेला।

दूसरी ओर मुंबई में पार्टी का चेहरा रहीं अंजलि दमानिया ने अरविंद केजरीवाल पर पिछले साल सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के छह विधायकों को खरीदने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी। स्टिंग विवाद सामने आते ही दमानिया ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि वे पार्टी प्रमुख के सिद्धांतों के लिए उनका समर्थन करती थीं, खरीद-फरोख्त के लिए नहीं। ट्वीटर पर अपने इस्तीफे का एलान करते हुए दमानिया ने कहा-मैं छोड़ रही हूं। मैं इस बकवास के लिए आप में नहीं आई थी। मैंने उनपर भरोसा किया। सिद्धांतों के लिए केजरीवाल का समर्थन किया खरीद-फरोख्त के लिए नहीं।

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अंजलि ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘मैं 48 घंटे में इन आरोपों की जांच की मांग करती हूं। कार्यकर्ताओं ने अपना खून-पसीना दिया है। यह पार्टी के लिए नहीं, यह देश के लिए है’। नए विवाद ने ऐसे समय में पार्टी को घेरा है, जब वह दो वरिष्ठ नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के असंतोष से उपजे विवाद से जूझ रही है। इन दोनों ने केजरीवाल के काम करने के तरीके की खुलेआम आलोचना करके अपने असंतोष का इजहार किया। इस बीच केजरीवाल का समर्थन करने वाले विधायकों की मांग है कि पिता-पुत्र शांति और प्रशांत भूषण को यादव के साथ पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाए। इस मकसद से उन्होंने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है।

यादव और भूषण ने उनके खिलाफ लगाए गए ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आरोपों के जवाब में बुधवार को एक संयुक्त पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने की कोशिश करने के आरोप से इनकार किया है। पत्र में कहा गया है-26 फरवरी को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में, जब हमें पता चला कि केजरीवाल ने राष्ट्रीय संयोजक के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है, तो हम दोनों ने इसका कड़ा विरोध किया। बयान में इस आरोप से भी इनकार किया गया है कि यादव ने मीडिया को झूठी खबरें दीं। पत्र में यादव की तरफ से सवालिया अंदाज में कहा गया कि अगर मैंने उन्हें कुछ बताया था तो बाकी पत्रकारों ने वे खबरें क्यों नहीं छापीं।

भूषण और यादव के खिलाफ यह हस्ताक्षर अभियान करावल नगर के आप विधायक कपिल मिश्रा ने चलाया है, जिनका कहना है कि इसके प्रति अभी तक तो पार्टी विधायकों का रुख सकारात्मक है। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आह्वान करने वाले मिश्रा ने कहा-मैं यह याचिका, विधायकों के समर्थन के साथ अरविंदजी (केजरीवाल), जब वापस आएंगे तो, उन्हें दूंगा। मैंने हमारे सभी विधायकों से बात की है और वे याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं।

मिश्रा ने आरोप लगाया कि भूषण और यादव ने स्वयंसेवकों से यह कहकर कि वह चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली न आएं और पार्टी के लिए आने वाले धन को रोककर, पार्टी के चुनावी भविष्य को बर्बाद करने की कोशिश की।

दमानिया के पार्टी छोड़ने के फैसले पर पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक आशुतोष ने कहा कि पार्टी के पास इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई सूचना नहीं है और ऐसे में इस पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा। बाद में पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की नेता प्रीति शर्मा मेनन ने दमानिया से मुलाकात की और कहा कि दमानिया ने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि वे बहुत परेशान थीं। प्रीति ने कहा-मुझे विश्वास है कि वे राष्ट्रीय नेतृत्व को एक मौका जरूर देंगी कि वह आएं और बताएं कि दरअसल चल क्या रहा है। वे टैप सुनकर बहुत परेशान थीं। हमने आप से जांच करने को कहा है।