जाने माने वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी ठहराया था और एक रुपए का जुर्माना लगाया था। उसी मामले में प्रशांत भूषण ने आज यानी 14 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जुर्माना राशि का भुगतान किया। शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर वह 15 सितंबर तक जुर्माना अदा नहीं करेंगे तो उन्हें तीन महीने के लिए जेल और तीन साल की प्रैक्टिस पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है।

प्रशांत भूषण ने डिमांड ड्राफ्ट के जरिए एक रुपए जुर्माना जमा किया। प्रशांत भूषण ने जुर्माना भले ही भर दिया हो, लेकिन उनके तीखे तेवर अब भी बरकरार हैं। भूषण ने कहा, ‘जुर्माना जमा करने का यह मतलब नही है कि हमको सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है, हम आज ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर रहे हैं।’ प्रशांत भूषण ने जुर्माना राशि जमा करने के बाद कहा, ‘एक सच्चाई कोष बनाया जा रहा है। जिसका पैसा उनके लिए इस्तेमाल होगा, जो सरकार के खिलाफ बोलने के कारण परेशान किए जा रहे हैं।’

प्रशांत भूषण ने कहा, ‘भारत मे आज अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में है। जो लोग सरकार के खिलाफ बोलते है, उनका मुंह बंद करने के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाया जा रहा है। सरकार के खिलाफ बोलने की वजह से ही उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही सीतराम येचुरी और दूसरे नेताओं को परेशान किया जा रहा है।’

प्रशांत भूषण ने कहा, ‘ऐसे लोगों की मदद के लिए जन-जन से एक-एक रुपया जमा कर ट्रुथ फंड (सच्चाई कोष) बनाया जा रहा है। राजस्थान से किसान मजदूर संगठन के शंकर लाल, बालूराम और ग्यारसी बाई के साथ कई कार्यकर्ता एक-एक रुपया की राशि लेकर आए। प्रशांत भूषण ने शनिवार को एक याचिका दायर की। याचिका में मूल आपराधिक अवमानना ​​मामलों के खिलाफ अपील का अधिकार था।

याचिका में 63 साल के प्रशांत भूषण की ओर से मांग की गई है कि उनकी अपील पर सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी और अलग बेंच द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए। प्रशांत भूषण ने अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के जरिए यह याचिका दायर की है। इसमें प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना ​​मामलों में मनमाना, तामसिक और उच्च-स्तरीय निर्णय की संभावना को कम करने के लिए प्रक्रियात्मक परिवर्तन का सुझाव दिया है।