पाकिस्तान के सियासी संकट को भारत के लिए अच्छा नहीं मानते हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा। जबकि विदेश मंत्री रह चुके नटवर सिंह का मानना है कि चिंता की कोई बात नहीं। अगर उन्होंने कोई हिमाकत की तो फिर से बालाकोट हो जाएगा। उनको करारा जवाब देने में भारत सक्षम है।
आजतक से बातचीत में भारत का विदेश मंत्राल संभाल चुके दोनों नेताओं ने अपनी अपनी राय रखी। यशवंत सिन्हा का कहना था कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान में आंतरिक उथल पुथल मचनी तय है। लोग सड़कों पर आएंगे। गृहयुद्ध जैसे हालात से बचने के लिए वहां के नेता और सेना भारत के खिलाफ कोई अभियान चला सकते हैं। पहले भी कई बार ऐसा देखा गया है कि अपने ऊपर से ध्यान हटाने के लिए भारत को निशाना बनाया जाता रहा है। नटवर सिंह का कहना था कि हमारे पड़ोसी मुल्क में लोकतंत्र जैसी कोई चीज नहीं है। लेकिन हम हर हालात में पाक को मुंहतोड़ जवाब देने में समर्थ हैं।
अविश्वास प्रस्ताव की नामंजूरी से संकट गहराया
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली भंग करने की प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश रविवार को मंजूर कर ली। हालांकि इस कदम को विपक्षी दलों ने असंवैधानिक करार दिया और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। इससे देश में राजनीतिक और संवैधानिक संकट और गहरा गया। माना जा रहा था कि इमरान को नेशनल असेंबली में विपक्षी राजनेताओं के गठबंधन द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में हार का मुंह देखना पड़ेगा। उनकी पार्टी पीटीआई के भी 12 से अधिक सांसद उनके खिलाफ हो गए थे।
इमरान ने चुनाव की तैयारी को कहा
इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के लिए देश को बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्र को नये चुनावों की तैयारी करनी चाहिए। इमरान ने पंजाब प्रांत के गवर्नर चौधरी सरवर को बर्खास्त कर दिया जबकि नए प्रांतीय मुख्यमंत्री का चुनाव टाल दिया गया।
उधर, स्तब्ध विपक्ष ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और नेशनल असेंबली को भंग करने की पूरी प्रक्रिया को संविधान के खिलाफ बताया। शहबाज शरीफ ने कहा कि हम उपाध्यक्ष के फैसले और प्रधानमंत्री द्वारा संसद भंग करने की सिफारिश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं।
सेना ने झाड़ा अपना पल्ला
पाकिस्तान की सेना ने कहा कि देश में उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल की स्थिति से उसका कोई लेना देना नहीं है। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि नेशनल असेंबली में आज जो भी हुआ, उससे सेना का कोई लेना देना नहीं है। खास बात है कि पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद से अबतक 73 वर्ष से अधिक की अवधि में से आधे से अधिक समय तक देश पर सेना का शासन रहा है।
रविवार को खोला गया सुप्रीम कोर्ट
सियासी उथल पुथल का चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने संज्ञान लिया है। वो रविवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट बार के अध्यक्ष अहसान भून ने कहा कि प्रधानमंत्री और उपाध्यक्ष की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है। संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से इस पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया।