BJP Leader Hardik Patel: भाजपा नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ एक कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट अहमदाबाद ग्रामीण में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अदालत द्वारा जारी किया गया है। यह कार्रवाई 2018 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज एक अपराध से संबंधित है जिसमें हार्दिक पटेल और अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में पाटीदार आंदोलन का कभी प्रमुख चेहरा रहे और वर्तमान में भाजपा विधायक हैं।
हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट इसलिए जारी किया गया है कि वो 2018 में अहमदाबाद शहर के निकोल में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले के संबंध में बार-बार अदालत में पेश होने में विफल रहे।
हार्दिक ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन पर गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने, दंगा करने, एक लोक सेवक के विरुद्ध आपराधिक बल प्रयोग और आपराधिक षडयंत्र जैसे आरोप हैं। निकोल इलाके में पुलिस की अनुमति के बिना एक प्रतीकात्मक उपवास कार्यक्रम आयोजित करने के बाद यह मामला दर्ज किया गया था।
इससे पहले, हार्दिक ने इस मामले में आरोपमुक्ति हेतु आवेदन दायर किया था, जिसे पहले निचली अदालत और फिर सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इस मामले में उनकी निरस्तीकरण याचिका गुजरात हाई कोर्ट में लंबित है। हाई कोर्ट ने कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है, इसलिए निचली अदालत कार्यवाही आगे बढ़ा रही है।
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हालांकि, हार्दिक के बार-बार अदालत में अनुपस्थित रहने के कारण, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हाल ही में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है तथा आगे की कार्यवाही 8 अक्टूबर को निर्धारित की है।
हार्दिक के वकील रफीक लोखंडवाला ने कहा कि उनके पास दो विकल्प हैं: वारंट रद्द करने के लिए उसी अदालत में जाएं, या गैर-जमानती वारंट जारी करने को हाई कोर्ट में चुनौती दें। लोखंडवाला ने कहा कि मैं अपने मुवक्किल को तदनुसार सलाह दूंगा और हम विकल्पों में से एक का पालन करेंगे।
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