Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। किसान नेता दल्लेवाल पिछले कई दिनों से हरियाणा की सीमा पर खनौरी में आमरण अनशन पर बैठे हैं। जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। शीर्ष अदालत ने डल्लेवाल को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के अपने निर्देशों पर कार्रवाई नहीं करने के लिए गुरुवार को पंजाब सरकार की खिंचाई की।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा कि उनके अधिकारियों को उन्हें कम से कम एक सप्ताह के लिए अस्पताल जाने के लिए राजी करना चाहिए और कोई अन्य व्यक्ति उस दौरान आंदोलन जारी रख सकता है। बुधवार को पीठ ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता दी जानी चाहिए। जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो कैंसर से पीड़ित हैं, कृषि सुधारों की मांग को लेकर 24 दिनों से आमरण अनशन पर हैं।

पंजाब के महाधिवक्ता सिंह ने गुरुवार को कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने डल्लेवाल से बात की है और हालांकि शुरू में विरोध हुआ था, लेकिन अब मेडिकल टीमें सहायता कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हवेली नामक एक नज़दीकी जगह को अस्पताल में बदल दिया गया है और किसी भी आपात स्थिति के लिए सभी सुविधाएं तैयार रखी गई हैं।

हालांकि, पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि चिकित्सा सुविधाएं इस तरह कैसे स्थानांतरित की जा सकती हैं और पूछा कि क्या अधिकारी उसे वहां स्थानांतरित करने में सक्षम हैं। जब सिंह ने कहा कि डल्लेवाल अदालत से मिलना चाहते हैं, तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन पहली प्राथमिकता उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना है।

जस्टिस कांत ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम सबसे पहले चाहते हैं कि उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए। उस प्राथमिकता को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? हम उनकी स्वास्थ्य स्थिति और सभी स्वास्थ्य मापदंडों के बारे में जानना चाहते हैं। यह तभी संभव है जब उनकी कुछ जांच की जाए। कोई भी हमें हल्के में न ले।

पंजाब के महाधिवक्ता सिंह ने कहा कि उनके तबादले का विरोध करते हुए हजारों प्रदर्शनकारी मौके पर एकत्र हुए हैं और उन्होंने साथ में ट्रॉलियां भी ले रखी हैं, ताकि कोई वाहन गुजर न सके।

इसके बाद जस्टिस कांत ने राज्य सरकार से उनके ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट दिखाने को कहा । पंजाब के एडवोकेट जनरल सिंह की इस टिप्पणी पर कि वह अब तक ठीक हैं, जस्टिस कांत ने पलटवार किया, “आप लोग कह रहे हैं कि वह ठीक हैं, मेडिकल डॉक्टर नहीं। डॉक्टर कहते हैं कि वह टेस्ट से इनकार कर रहे हैं। आप चाहते हैं कि सिविल/पुलिस अधिकारी डॉक्टरों की ड्यूटी निभाएं? एक डॉक्टर कैसे बता सकता है कि एक व्यक्ति जो पिछले 21 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठा है, जिसकी उम्र 73-75 साल है और जिसे गंभीर बीमारियां हैं… आप उस डॉक्टर को हमारे पास लाएं जो गारंटी देता है कि वह बिल्कुल सही है।”

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जस्टिस भुयान ने कहा कि वह अपनी भूख हड़ताल जारी रख सकते हैं, लेकिन चिकित्सा देखरेख के अधीन। जस्टिस कांत ने कहा कि ऐसी देखरेख बिना किसी भोजन या तरल पदार्थ का सेवन किए भी की जा सकती है। जस्टिस ने कहा कि उनके रक्त परीक्षण, कैंसर की स्थिति, सीटी स्कैन आदि कराना राज्य की जिम्मेदारी है। जस्टिस कांत ने पूछा कि कुछ भी नहीं किया गया है। आपके अधिकारी किस तरह का प्रमाण पत्र दे रहे हैं?

पंजाब के महाधिवक्ता सिंह ने कहा कि शारीरिक टकराव की स्थिति में हताहत हो सकते हैं, लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसानों और उनके नेताओं ने कभी भी शारीरिक टकराव में प्रवेश नहीं किया है। पीठ ने कहा कि वे शांतिपूर्वक बैठे हैं। ये शब्द आपके अधिकारियों द्वारा गढ़े गए हैं। जस्टिस कांत ने सिंह से कहा कि वह पंजाब सरकार के अधिकारियों से कहें कि वे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहें। पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार को फिर से तय करते हुए निर्देश दिया कि डल्लेवाल की मेडिकल जांच रिपोर्ट दोपहर एक बजे से पहले पेश की जाए।

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