भारतीय-अमेरिकी अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। नोबेल समिति ने सोमवार को जारी बयान में तीनों को वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन क्षेत्र में किए गये शोध कार्यों के लिए नोबेल देने की घोषणा की। अभिजीत दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर चुके हैं। हालांकि, यह जानकर एक बार हैरानी होगी कि जेएनयू में बिताए वक्त के दौरान उन्हें तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा था।
अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ के मुताबिक, मई 1983 में अभिजीत बनर्जी और करीब 360 अन्य जेएनयू स्टूडेंट्स को 12 दिन तिहाड़ जेल में गुजारने पड़े थे। इन स्टूडेंट्स में 50 महिलाएं भी शामिल थीं। इन छात्र-छात्राओं पर लगे कई आरोपों में वाइस चांसलर की हत्या की कोशिश का आरोप भी शामिल था। वीसी का घेराव करने के दौरान पुलिस से हुए टकराव की इस घटना में सरकार ने छात्रों को माफी दी थी। इसी साल, बनर्जी पीएचडी करने के लिए हार्वर्ड चले गए थे।
बनर्जी ने जेएनयू में एमए इन इकोनॉमिक्स की पढ़ाई 1981 से 1983 तक की। उनके वक्त में हिस्ट्री से एमए कर रहे जानकी नायर अब जेएनयू में पढ़ाते हैं। नायर ने बताया, ‘वह अमेरिका नहीं जाना चाहते थे। यूके उनकी पहली पसंद थी। उन्होंने इनलैक्स स्कॉलरशिप के लिए इंटरव्यू भी दिया था, जिसके नहीं मिलने पर वह काफी दिनों तक परेशान भी रहे थे।’ नायर और कुछ बाकी लोगों का कहना है कि बनर्जी कभी किसी स्टूडेंट ग्रुप का हिस्सा नहीं रहे लेकिन वह सार्वजनिक बहस और प्रदर्शनों में खुलकर शामिल होते थे।
नायर के मुताबिक, बनर्जी अपने फाइनल सेमेस्टर परीक्षाओं से ठीक पहले ही जेल गए थे। वह धरने पर बैठे थे जब पुलिस उनको ले गई थी। नायर के मुताबिक, अभिजीत के इस प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से कई अन्य लोग भी वहां पहुंचे थे। अभिजीत की गिरफ्तारी से उनके घरवाले बेहद परेशान थे और कलकत्ता से दिल्ली पहुंच गए थे।
बनर्जी के वक्त के कई लोगों ने बताया कि वह सिर्फ अर्थशास्त्र तक सीमित नहीं थे। उनकी अंग्रेजी और बंगाली लिटरेचर के अलावा फिलॉस्फी में भी काफी दिलचस्पी थी। उस वक्त के एक छात्रनेता की मानें तो बनर्जी ने मुख्यधारा के वाम की कटु आलोचना की थी हालांकि, उन्होंने वोट SFI को दिया था।
जिस घेराव के लिए बनर्जी गिरफ्तार हुए थे, उसकी अगुआई स्टूडेंट्स फॉर डेमोक्रेटिक सोशलिज्म एंड द फ्री थिंकर्स नाम का ग्रुप कर रहा था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस ग्रुप का हिस्सा रही हैं। नायर ने बताया, ‘हम जिस भी किताब की चर्चा करते थे, नायर वो पहले ही पढ़ चुके होते थे।’ वहीं, इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट करके बताया कि बनर्जी एक अच्छे कुक और हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक के जानकार भी हैं।

