केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को बताया कि सभी सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की इजाजत नहीं दी जाएगी। सभी कर्मचारियों को कार्यालय आने के लिए कहा जायेगा। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा है कि केंद्र सरकार (Central government) के कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की अनुमति संभव नहीं है और कर्मचारियों को शारीरिक रूप से कार्यालय आना आवश्यक है।

राज्य मंत्री लोकसभा में भाजपा सांसद रंजनबेन धनंजय भट्ट और एनसीपी सांसद श्रीनिवास दादासाहेब पाटिल के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। यह स्वीकार करते हुए कि कोविड के वर्षों में घर से काम करना एक संभावना थी मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह नया सामान्य नहीं बन सकता।

हालांकि सरकार ने कार्यस्थल पर सामाजिक दूरी को लागू करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान मध्यम/कनिष्ठ कर्मचारियों को अपवाद के रूप में वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी थी। जितेंद्र सिंह ने कहा, “जैसा महामारी प्रतिबंधों में ढील दी गई है, कर्मचारियों को शारीरिक रूप से कार्यालय में उपस्थित होने की आवश्यकता है।”

मंत्री से यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार ने इस तरह के कदम की व्यवहार्यता के बारे में कोई कार्य अध्ययन किया है। हालांकि केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने विशेष रूप से इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

भारत में नक्सली हिंसा में 77 प्रतिशत की कमी आई

बता दें कि कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा था कि पिछले 12 वर्षों में भारत में नक्सली हिंसा में 77 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही उन्होंने बताया था कि इससे संबंधित घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में भी 90 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा था कि नक्सली उग्रवाद से संबंधित हिंसा का भौगोलिक प्रसार काफी कम हो गया है और 2022 में 45 जिलों के केवल 176 पुलिस स्टेशनों ने संबंधित हिंसा की सूचना दी है।

बता दें कि 2010 में 96 जिलों के कम से कम 465 पुलिस थानों ने वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की सूचना दी थी। नक्सली उग्रवाद से संबंधित मौतों (सुरक्षा बलों और नागरिकों) की संख्या 2010 में 1005 से घटकर 2022 में केवल 98 रह गई है।