पिछले 20 दिनों से त्रिपुरा में लगातार हो बारिश ने नेशनल हाइवे 44 की मरम्मत को कठिन बना दिया है। स्थानीय नागरिकों के लिए चिंता की बात यह है कि यही इकलौता रूट है जो राज्य को बाकी देश से जोड़ता है। त्रिपुरा सरकार ने मोदी सरकार पर समस्या पर ध्यान ना देने के आरोप लगाए हैं। खबर है कि सड़कों पर कीचड़ की वजह से सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई हैं। पिछले 15 दिनों से इन गाड़ियों के ड्राइवर्स के पास जाने की कोई जगह नहीं है। उनके खाने और पानी की सप्लाई भी खत्म हो चुकी है। हाइवे पर मौजूद एक ट्रक ड्राइवर सुखदेव सिंह के अनुसार, ”15 दिन पहले मैंने हैदराबाद से माल उठाया और यहां खराब सड़क की वजह से फंस गया। मरम्मत की कोई उम्मीद दिखाई नहीं देता। नहाने और धोने की छोड़िए, हमारे पास पीने तक के लिए पानी नहीं है।” सिंह ने कहा कि वह पिछले 15 सालों से इसी रोड पर माल ढो रहे हैं लेकिन हालात पिछले 2-3 सालों में बदतर हो गए हैं।

असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने गुरुवार को सीमा वाली सड़क की निगरानी की थी। त्रिपुरा के यातायात मंत्री मानिक डै ने असम सरकार की जमकर आलोचना की और आरोप लगाया कि राज्य और केन्द्र सरकार मामले को गंभीरता से नहीं ले रहीं। एनएच 44 का बड़ा हिस्सा असम में आता है। त्रिपुरा सरकार की गुजारिश पर केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 28 जून को ट्वीट किया था, ”मैंने अधिकारियों को युद्धस्तर पर एनएच-44 को दुरुस्त करने और त्रिपुरा से कनेक्टिविटी बेहतर करने के आदेश दिए हैं।”

इसकी वजह से त्रिपुरा में भयंकर ईंधन संकट उत्पन्न हो गया है। लोगों को गाड़ियों में तेल भराने के लिए जबरदस्ती पेट्रोल पंपों पर दो से तीन घंटों इंतजार कराया जा रहा है। ग्रे मार्केट में पेट्रोल 150 से 200 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है।
खराब हालातों के बावजूद रिपेयरिंग जारी है और गाड़ियों का आवागमन धीरे-धीरे होने लगा है।