देश में पशु व्यापारियों के खिलाफ हिंसा सहित सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की बढ़ती घटनाओं को लेकर विपक्ष के हमला बोले जाने के बीच गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सांप्रदायिक घटनाओं में वृद्धि होने के आरोप गलत हैं क्योंकि 2013 से ऐसी घटनाओं में कमी हो रही है। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में देश के विभिन्न भागों में पशु व्यापारियों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि 2013 से सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी से मार्च के बीच भी पिछले साल इसी अवधि की तुलना में हुई सांप्रदायिक घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कुछ गिरजाघरों पर हुए हमलों की चर्चा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया आदि के माध्यम से इन घटनाओं को लेकर देश के माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह से देश का माहौल खराब होने से देश की छवि भी खराब होती है। रिजिजू ने कहा कि जब गिरजाघरों पर हुए हमले की घटनाओं की जांच की गई तो पता चला कि यह कोई सुनियोजित घटना नहीं थी।
रिजिजू ने लातेहार में दो पशु व्यापारियों को मार कर पेड़ पर लटकाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले का प्रमुख आरोपी का अपराधों का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति का भाजपा से कोई संबंध नहीं है बल्कि वह एक क्षेत्रीय दल का पदाधिकारी रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड की राज्य सरकार ने इस मामले में सभी उचित कार्रवाई की है और अभियोजन प्रक्रिया चल रही है। रिजिजू साफ किया कि केंद्र सरकार संविधान से बंधी हुई है। कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है। इसको लागू करने में जिस भी राज्य को मदद की जरूरत होती है, केंद्र उसे करता है।
दादरी में गोमांस के संदेह में एक आदमी की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मामले का उल्लेख करते हुए रिजिजू ने कहा- इस मामले में हमने (केंद्र ने) राज्य सरकार को कोसा नहीं। इस मामले को लेकर हमने राज्य सरकार को कठोर परामर्श भेजा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र न तो प्राथमिकी दर्ज करता है न ही जमीनी स्तर पर की जाने वाली अन्य कार्रवाई। यह सब काम तो राज्य सरकार करती है। मगर केंद्र की भूमिका राज्य को कानून एवं व्यवस्था बरकरार रखने में मदद देने की है।
चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ मंत्रियों, सांसदों एवं नेताओं की ओर से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले बयान दिए जाने पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने का भी आरोप लगाया था। इस पर रिजिजू ने कहा कि उनके बयानों को तोड़ मरोड़ कर या जरूरत से ज्यादा प्रचार नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि देश में असहिष्णुता बढ़ने को लेकर सोशल और अन्य मीडिया में काफी प्रचार किया गया। इसे लेकर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी काफी कुछ कहा गया। हमारे प्रधानमंत्री की यह सहिष्णुता थी कि ऐसी टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कुछ नहीं किया गया। जबकि एक अन्य नेता के खिलाफ सोशल मीडिया में टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया गया था।
रिजिजू ने आश्वासन दिया कि देश की छवि और सांप्रदायिक माहौल को बरकरार रखने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।
रिजिजू ने कहा कि 2015 में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब में गाय एवं गाय के मांस के परिवहन से संबंधित मुद्दों की घटनाओं को दर्ज किया गया। इनमें से 13 घटनाओं के परिणामस्वरूप कुछ सांप्रदायिक घटनाएं हुर्इं। 2016 में दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओड़ीशा और उत्तर प्रदेश में भी गाय एवं गाय के मांस के परिवहन से संबंधित मुद्दों की घटनाओं को दर्ज किया गया। इनमें से आठ घटनाओं के परिणामस्वरूप सांप्रदायिक घटनाएं हुर्इं।
इससे पहले सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए विपक्षी सदस्यों ने देश में पशु व्यापारियों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए सरकार से मांग की कि देश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि पशु व्यापारियों के खिलाफ हिंसा को संगठित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। भाकपा के डी राजा ने ऐसी घटनाओं को संविधान के खिलाफ बताते हुए इन पर कठोर कार्रवाई की मांग की। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद एवं जद (एकी) के गुलाम रसूल बलियावी ने झारखंड में दो पशु व्यापारियों को मारे जाने की घटना की जांच के लिए संसदीय समिति बनाने की मांग की। भाजपा के एमजे अकबर व बसवा राज पाटिल, तृणमूल कांगे्रस के डी बंदोपाध्याय, कांगे्रस के हुसैन दलवई एवं कुमारी शैलजा, सपा के अरविंद कुमार सिंह व बीजद के दिलीप कुमार तिर्की ने इस मुद्दे पर विभिन्न स्पष्टीकरण मांगते हुए देश में सांप्रदायिक सद्भाव को कायम रखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया।