आप सांसद राघव चड्ढा ने सदन में स्विगी, जोमैटो, ब्लिंकिट, जेप्टो राइडर से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा हाल ही में उठाया है। इसे लेकर उन्होंने एएनआई को दिए अपने एक इंटरव्यू में भी बात की।

न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से सवाल किया गया कि राज्यसभा में उन्होंने गिग वर्कर से जुड़ा एक मुद्दा उठाया है कि 10 मिनट में डिलीवरी सिस्टम खत्म होना चाहिए, इसे समझाएं क्यों। सवाल पर जवाब देते हुए आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि स्विगी, जोमैटो के डिलीवरी ब्वॉय, ब्लिंकिट, जेप्टो के राइडर्स, ओला और उबर के ड्राइवर ये सभी ऐसे लोग हैं जिनके दम पर ये बड़ी कंपनियां यूनिकॉर्न बन पाई हैं। बिलियन डॉलर्स की वैल्यूएशन हासिल कर ली, लेकिन इनमें जो दबे हुए लोग हैं ये वही गिग वर्कर हैं।

जल्दबाजी और प्रेशर में करते हैं काम

उन्होंने आगे कहा कि आज उन्हें सबसे बड़ी समस्या होती इस 10 मिनट के डिलीवरी सिस्टम के जुल्म से, 10 मिनट में कस्टमर तक सामान पहुंचाने में खतरनाक ड्राइविंग करता है, उसका हार्टरेट भी बढ़ता है, वो तमाम तरीके से प्रॉब्लम फेस करके वो वहां पहुंचता है आपको डिलवरी देने के लिए और एक मिनट भी अगर देर हो जाए तो ऐप लॉग आउट होने का डर होता है, इंसेंटिव कटने का डर होता है और कस्टमर से भी डांट खाने का डर होता है। कस्टमर रेंटिंग कम देता है और डांटकर भगा देता है।

कोई प्रोविडेंट फंड, छुट्टी नहीं मिलते

उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी समस्या है। एक इन वर्करों के डिग्निटी को लेकर भी मैंने बात रखी, एक उनके मिनिमम पे, मैक्सिम वर्किंग आवर तय किए जाने चाहिए। वे 14 से 16 घंटे लगातार एक दिहाड़ी मजदूर से भी बदतर स्थिति में काम करते हैं, इन्हें कोई प्रोविडेंट फंड नहीं, कोई स्थायी नौकरी नहीं, कोई जॉब सिक्योरिटी नहीं, कोई पेड लीव नहीं मिलता। अभी उनके लिए इस प्रकार का कोई सेटेप नहीं बन पाया है।

कौन होते हैं गिग वर्कर?

गिग वर्कर वो होते हैं, जो स्वतंत्र तरीके से कांट्रैक्टर के रूप में शॉर्ट-टर्म जॉब, टास्क और प्रोजेक्ट का काम करता है। ये मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म स्विगी, जोमैटो, जेप्टो जैसे ऐप के लिए काम करते हैं। इन्हें अपने एम्पलॉयर से कोई भी पेड लीव और हेल्थ इंश्योरेंस नहीं मिलता।