आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जेल भेजकर बहुत बड़ा अन्याय किया गया है। चिदंबरम के खिलाफ यह कार्रवाई बिना किसी ठोस सबूत की गई। चिदंबरम के खिलाफ सिर्फ हत्यारोपी इंद्राणी और पीटर मुखर्जी के बयान थे, जिनके आधार पर कार्रवाई की गई। वरिष्ठ पत्रकार और द हिंदू ग्रुप पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन एन राम ने चेन्नई में रविवार को ये बातें कहीं।
द हिंदू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, एन राम ने ये विचार तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में रखे। बैठक का मकसद पूर्व वित्त मंत्री की गिरफ्तारी की निंदा करना था। एन राम के मुताबिक, इस गिरफ्तारी की साजिश करने वालों का मकसद सिर्फ और सिर्फ इतना था कि चिदंबरम की आजादी पर बंदिश लगाई जाए। उनके मुताबिक, दुर्भाग्य से देश की सबसे बड़ी अदालतें भी इसकी चपेट में आ गईं।
एन राम ने कहा कि हायर जुडिशरी और खास तौर पर दिल्ली हाई कोर्ट के रुख की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने असल में अभियोजन पक्ष के केस को स्वीकार कर लिया। सात महीनों तक फैसला सुरक्षित रखा गया। जज के रिटायरमेंट से ठीक पहले फैसला आया, जिसकी वजह से चिदंबरम को अपील करने का मौका नहीं मिला।’
वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक, ‘जस्टिस भानुमति और बोपन्ना के फैसलों में कई तथ्यात्मक त्रुटियां थीं। उदाहरण के तौर पर, वे कहते हैं कि पी चिदंबरम की संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं। यह पूरी तरह गलत है।’ उन्होंने कहा कि इस वक्त जरूरत है कि उसी बेंच के सामने जल्द से जल्द रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाए या क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाए जो पांच जजों की बेंच के सामने जाए।
एन राम ने आगे कहा, ‘हत्या के दो आरोपियों के बयानों को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं बनता। किसी दस्तावेज को छिपाए जाने या उससे छेड़छाड़ का कोई खतरा नहीं था, किसी भी गवाह को कोई खतरा नहीं था…यह बेहद शर्म की बात है कि इस केस में न्याय नहीं मिला।’
वहीं, कांग्रेस सांसद के जयकुमार ने भी आरोप लगाया कि चिदंबरम को बीजेपी ने निशाना बनाया। इसके अलावा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पीटर अल्फोंस ने इसे ‘कानूनी नहीं, राजनीतिक लड़ाई’ करार दिया। उन्होंने कहा कि एक ऐसी सरकार जो अपने पार्टी के लोगों के खिलाफ दर्ज बड़े मामलों में कोई ऐक्शन नहीं लेती, वह उस शख्स के खिलाफ उन मामलों पर एक्शन ले रही है, जिसने कोई गलती नहीं की और वह एक जाना माना राजनेता है।