नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर पर किसी भी वार्ताकार की नियुक्ति से इनकार किया है। उनके मुताबिक पूर्व में इस तरह की परिपाटी कारगर नहीं रही है। गृह मंत्री ने यह भी साफ किया कि वे वार्ता के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि वे उन राष्ट्र विरोधियों के साथ ऐसी बात करने के खिलाफ हैं जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलता हो और जो इसके जरिए अपनी राजनैतिक छवि को चमकाना चाहते हैं।

मंत्री से पूछा गया था कि चूंकि संयुक्त खुफिया प्रमुख एन रवि को पूर्वोत्तर के लिए वार्ताकार नियुक्त किया गया है, तो क्या कश्मीर के लिए भी इसी तरह के किसी प्रस्ताव की कोई संभावना है। पत्रिका ‘गवर्नेंस नाउ’ को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा- कब तक हम वार्ताकारों की नियुक्ति करते रह सकते हैं। पहले की जो परिपाटी रही है उसे अवश्य बंद कर देना चाहिए। इसलिए मैं जम्मू कश्मीर के लिए वार्ताकार नियुक्त करने के पक्ष में नहीं हूं। अब वार्ताकारों को नियुक्त करने पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मैं बातचीत के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैं किसी ऐसी वार्ता के पक्ष में नहीं हूं जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलने वाला हो और जो जम्मू कश्मीर या पूर्वोत्तर में राष्ट्र विरोधी अपनी राजनैतिक छवि को चमकाने के लिए करते हैं।

यूपीए के शासन के दौरान शिक्षाविद राधा कुमार, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पडगांवकर और एमएम अंसारी को कश्मीर पर वार्ताकार नियुक्त किया गया था। गृह मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार लोगों को सशक्त बना कर पूर्वोत्तर में शांति बहाल करने के लिए उत्सुक है। वह उन लोगों को सशक्त नहीं बनाना चाहती है, जो देश के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। गृह मंत्री बनने के बाद से उनकी ओर से की गई पहल के बारे में सिंह ने कहा कि वे संचालनात्मक ब्योरे को साझा नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने कहा-मेरा पहला काम सुरक्षाकर्मियों का मनोबल बढ़ाना है। मैंने साफ निर्देश दिया है कि हम अपने बलों को नीचा नहीं दिखाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि सरकार में महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों से संबंधित मामलों पर नियुक्ति मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (एसीसी) में खुद की उपेक्षा किए जाने पर उन्हें क्या महसूस हुआ, उन्होंने कहा-मुझे तिल का ताड़ बनाने की लोगों की प्रवृत्ति पर आश्चर्य होता है। यह प्रक्रियागत मुद्दा है। जिस पर अतिरिक्त ध्यान दिए जाने की जरूरत नहीं है। मैं वह कर रहा हूं जो मुझे करने की आवश्यकता है। ‘दक्षिणपंथी उग्रवाद’ के बारे में पूछे जाने पर वे बोले कि भाजपा का किसी भी तरह के उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। हमारी पार्टी का दर्शन किसी भी तरह के उग्रवाद की अनुमति नहीं देता है। मैं यह कहूंगा कि समाज में किसी भी तरह का उग्रवाद स्वीकार्य नहीं है। हम उसे मंजूरी नहीं देते। गौरतलब है कि ‘दक्षिणपंथी उग्रवाद’ के साथ भाजपा को अक्सर जोड़ा जाता है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुछ नेताओं के भड़काऊ भाषणों और कथित ‘लव जेहाद’ के खिलाफ उनके अभियान के बारे में पूछे जाने पर गृहमंत्री ने कहा-मैं सार्वजनिक अभिव्यक्ति में संयम बरतने में विश्वास करता हूं। मैं वो बात नहीं सुनता हूं जो सुनने लायक नहीं हो। आतंकवादी संगठन अल कायदा द्वारा भारत केंद्रित वीडियो जारी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जहां खतरे को गंभीरता से लिया जा रहा है वहीं इस घातक विचार को भारतीय मुसलमानों में से बहुत कम ग्रहण करने वाले हैं। वे भारत की विविधता और लोकतंत्र में गौरव महसूस करते हैं। कुछ त्रुटियां हो सकती हैं, लेकिन राज्य उनसे कारगर तरीके से निपटने में सक्षम है।

गृह मंत्री से जब आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के काम में कथित ओवरलैपिंग के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अगर कोई अस्पष्टता है तो उसका जल्द ही समाधान किया जाएगा। यूआईडीएआई के पास जल्द ही 65 करोड़ लोगों से अधिक का डाटाबेस होगा और वह उनके लिए आधार कार्ड तैयार करेगी। यूआईडीएआई और एनपीआर मिल कर काम कर रहे हैं। इसके अलावा हम एनपीआर के तहत अगले साल तक करीबन 25 करोड़ नागरिक कार्ड बनाएंगे। इसके तहत आबादी के बड़े हिस्से को कवर किया जाएगा।