आर्टिकल 370 पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार का नार्थ ईस्ट के विशेष प्रावधानों को छेड़ने का कोई इरादा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ इसकी अगुवाई कर रहे हैं। सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।

एडवोकेट और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ऐसी आशंकाएं हैं कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था,उसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित विशेष प्रावधानों को भी खत्म किया जा सकता है। सांसद मनीष तिवारी अरुणाचल प्रदेश के विधायक पी रिचो की ओर से पक्ष रख रहे थे। उन्होंने अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं में हस्तक्षेप के लिए आवेदन किया है।

मनीष तिवारी की दलील पर तुषार मेहता ने दिया जवाब

मनीष तिवारी ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के लिए अनुच्छेद 370 की तरह संविधान की छठी अनुसूची में उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए विशेष प्रावधान हैं। मनीष तिवारी ने कहा कि वह मौजूदा केंद्र सरकार की कार्रवाई का जिक्र नहीं कर रहे बल्कि व्यापक परिप्रेक्ष्य में बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में छोटी सी आशंका के भी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह अदालत मणिपुर में ऐसी एक स्थिति से निपट रही है।

तुषार मेहता ने मनीष तिवारी को टोकते हुए कहा कि यह किसी तरह की शरारत हो सकती है। ऐसी कोई आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों से संबंधित संविधान के किसी भी विशेष प्रावधान को छूने का भी इरादा नहीं है।

बेंच ने मनीष तिवारी से पूछा कि अदालत को उस याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए जिसमें केवल आशंका हो। सीजेआई ने कहा कि जब सॉलिसिटर जनरल ने हमें सूचित किया है कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है तो हमें संदेह नहीं करना चाहिए? बेंच ने मेहता की दलीलों को दर्ज करने संबंधी आदेश को पारित करने के बाद हस्तक्षेप याचिका (IA) का तत्काल निपटारा कर दिया।