केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने देश भर की सभी 2.50 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन के आधार पर ‘पंचायत विकास सूचकांक’ (पीएआइ) तैयार किया है। पहली बार जारी किए गए इस सूचकांक में गुजरात की 346 और तेलंगाना की 270 ग्राम पंचायतें दूसरी सबसे बेहतर (ए) श्रेणी में शामिल हुई हैं। सूचकांक की सबसे बेहतर (ए प्लस) श्रेणी में देश की कोई भी ग्राम पंचायत शामिल नहीं हो पाई है।

सूचकांक में अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की चार और हिमाचल प्रदेश की मात्र एक ग्राम पंचायत ‘ए’ श्रेणी में जगह बना पाई है। वहीं, इस श्रेणी में हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड की कोई भी ग्राम पंचायत शामिल नहीं हो पाई है। तेलंगाना के कामारेड्डी जिले की बर्नपुर ग्राम पंचायत सबसे अधिक अंक 84.09 लेकर देश में सबसे बेहतर पंचायत बनी है। पीएआइ ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों द्वारा सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में उनके प्रदर्शन का रपट कार्ड है।

9 विषयों के आधार पर तैयार किया पंचायत विकास सूचकांक

पंचायती राज मंत्रालय के मुताबिक, पीएआइ सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के संबंध में देश की 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों (जीपी) में से प्रत्येक के प्रदर्शन और प्रगति को मापने का एक साधन है। प्रत्येक ग्राम पंचायत, पीएआइ के माध्यम से अपने विकास के स्तर का आकलन कर सकती है और खंड, जिले या राज्य के अन्य ग्राम पंचायत के साथ अपने प्रदर्शन की तुलना भी कर सकती है। यह सूचकांक सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के नौ विषयों में पहचान किए गए विकास संकेतकों के माध्यम से पंचायत स्तर पर साक्ष्य आधारित योजना के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है।

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इन नौ विषयों में पंचायत में गरीबी मुक्त व उन्नत आजीविका, स्वस्थ पंचायत, बाल-अनुकूल पंचायत, जल-पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ व हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी सुविधाओं वाली पंचायत, सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण व सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत, सुशासन वाली पंचायत और महिला अनुकूल पंचायत शामिल हैं। विभिन्न ग्राम पंचायतों द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर उन्हें पांच वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। इसके तहत 90 से अधिक अंक हासिल करने वाली पंचायत को ‘ए प्लस’ श्रेणी के साथ ‘अचीवर’ कहा गया है।

बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक की एक भी ग्राम पंचायत दूसरी बेहतर श्रेणी में नहीं

इसी तरह 75 से 90 अंक वाली ग्राम पंचायतों को ‘ए’ श्रेणी (फ्रंट रनर), 60 से 75 अंक वाली पंचायत को ‘बी’ श्रेणी (परफार्मर), 40 से 60 अंक वाली को ‘सी’ श्रेणी (एस्पिरेंट) और शून्य से 40 अंक वाली ग्राम पंचायतों को ‘डी’ श्रेणी (बिगीनर) में शामिल किया गया है। इस सूचकांक में 29 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 2,55,699 ग्राम पंचायतों ने हिस्सा लिया है। इनमें से 699 ही दूसरी बेहतर श्रेणी हासिल कर पाई हैं। कई राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे भी रहे जिनकी एक भी ग्राम पंचायत दूसरी बेहतर श्रेणी में नहीं आ पाई। इनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, लद्दाख, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, राजस्थान, सिक्किम और तमिलनाडु भी शामिल हैं।

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मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, पीएआइ ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों द्वारा एडीजी को प्राप्त करने में उनके प्रदर्शन का रपट कार्ड है। पीएआइ से पंचायतों के बीच सकारात्मक और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। यह अन्य केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों के लिए भी एक अत्यंत उपयोगी उपकरण होगा, जिससे वे अपनी योजनाओं के परिणामों का आकलन कर सकेंगे और अपने मंत्रालयों व विभागों से जुड़े विशेष एलएसडीजी विषयों के साथ साक्ष्य के आधार पर भविष्य के विकास की योजना बना सकेंगे।