अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत अरेस्ट एक आरोपी के मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट बिफर गया। शख्स नौ साल से जेल की सलाखों के पीछे बंद है। लेकिन अभी तक उसके खिलाफ चार्ज फ्रेम भी नहीं हो सके। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से सख्त लहजे में कहा कि 75 दिनों के भीतर आरोपी की बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई कर फैसला करे।
मामले के मुताबिक इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकी मंजर इमाम को अगस्त 2013 में अरेस्ट किया गया था। एनआईए ने एक गुप्त सूचना के आधार पर रेड करके उसे पकड़ा था। उस पर आरोप था कि वो बड़े पैमाने पर ब्लास्ट करने की तैयारी में था। ये ब्लास्ट देश के कई हिस्सों में सिलसिलेवार तरीके से होने थे।
एनआईए की दलील थी कि इमाम 1 अक्टूबर 2013 से हिरासत में है। ये सही है कि अभी तक उसके खिलाफ चार्ज फ्रेम भी नहीं हो सके हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये भी है कि मामले में 369 गवाह हैं। इन सभी को एग्जामिन किया जाना है। ये लंबा प्रोसेस है और इसमें समय भी बहुत लगता है। इस वजह से ही देर हो रही है।
हाईकोर्ट ने इमाम की बेल याचिका को बंद करते हुए कहा कि वो ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवेदन दे सकते हैं। इमाम के वकील ने कोर्ट से दरखास्त की कि ट्रायल कोर्ट को समयबद्ध किया जाए, जिससे जल्दी फैसला हो सके। हाईकोर्ट ने कहा कि ये अपील सही लग रही है। ट्रायल कोर्ट 75 दिनों के भीतर फैसला करे।
इमाम की तरफ से इससे पहले भी एक एप्लीकेशन हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। 2021 में उसका कहना था कि एनआईए जिन आरोपियों को पकड़ती है वो ट्रायल शुरू न हो पाने की वजह से सालों साल जेल में पड़े रहते हैं। उसकी दलील थी कि उसके मामले की रोजाना सुनवाई की जाए। ताकि उसे समय पर न्याय मिल सके। हाईकोर्ट की एक डबल बेंच देख रही है कि एनआईए की 2 स्पेशल कोर्ट में मामले कितने समय से लंबित पड़े हैं।