बीजेपी अपने दो सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू के सहारे सत्ता में है और इन दिनों दोनों ही दल काफी सुर्खियों में है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू तिरुपति मंदिर के लड्डू विवाद मामले से चर्चा में हैं तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राम मंदिर मंदिर निर्माण के लिए उनकी सराहना की है। दोनों का ध्यान हिंदुओं से जुड़े मामलों पर है। बीजेपी का एक वर्ग मानता है कि इसे इन दलों के भाजपा के साथ बढ़ते तालमेल के तौर पर देखा जाना चाहिए तो दूसरा वर्ग मानता है कि यह दोनों दल अपने हिन्दू वोट को साधे रखना चाहते हैं और उन्हें किसी भी स्थिति में बीजेपी की तरफ झुकने नहीं देना चाहते।

हालांकि  चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के सूत्रों ने कहा कि तिरुपति विवाद का मुख्य लक्ष्य जगन मोहन रेड्डी थे, लेकिन इसका एक फायदा यह भी होगा कि हमारा हिंदू समर्थन आधार बरकरार रहेगा।

चंद्रबाबू नायडू का क्या प्लान है? 

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “नायडू का यह कदम जगन मोहन रेड्डी को घेरने की एक रणनीतिक चाल है। उन्होंने सिर्फ़ लड्डू का मुद्दा ही नहीं उठाया है, बल्कि पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के मंदिर में प्रवेश के मुद्दे पर भी चर्चा है (जगन मोहन रेड्डी एक ईसाई हैं, और गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने से पहले वचन पत्र पर हस्ताक्षर करना ज़रूरी है) लेकिन कथित तौर पर यह चर्चा है कि पूर्व सीएम ने ऐसा नहीं करने के लिए कहा था।”

वह सीएम नायडू की चाल को एक चालाकी भरा कदम बताते हुए कहते हैं कि भाजपा में वे लोग भी हैं जिनके जगन मोहन रेड्डी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन वह जगन के लिए ऐसे में कुछ नहीं कर सकते।

हालांकि टीडीपी के एक नेता ने कहा कि उन्हें इस में कोई राजनीतिक मकसद नहीं दिखता और सीएम नायडू सिर्फ़ जगन सरकार के तहत तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड में भ्रष्टाचार को देखते हुए सिस्टम को साफ करने की कोशिश कर रहे हैं। वह कहते हैं, “यह सच है कि इस कदम से राजनीतिक फायदे होंगे लेकिन टीडीपी को पहले से ही हिन्दू समुदाय में काफी समर्थन प्राप्त है।”

नीतीश कुमार ने क्यों लिखा पीएम को पत्र?

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राम मंदिर के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा की है और सीतामढ़ी और अयोध्या के बीच सीधे रेल संपर्क की मांग की है। उनके लिखे गए पत्र पर अब अलग-अलग राजनीतिक चर्चा जारी है। भाजपा नेताओं का मानना ​​है कि नीतीश कुमार उनके वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही एक नेता ने कहा, “नीतीश कुमार ने पहले कभी ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है। पिछले आठ महीनों से गठबंधन सहयोगी होने के बावजूद वे चुप हैं। अब जब वे राम मंदिर निर्माण की तारीफ कर रहे हैं, तो पार्टी को देखना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं।”

ऐसा माना जा रहा है कि जेडी(यू) का सीता पर जोर भाजपा की “राम-केंद्रित” राजनीति के विपरीत है। उन्होंने कहा, “ऐसा लग सकता है कि जेडी(यू) किसी तरह भाजपा की राजनीति का समर्थन कर रही है, लेकिन नीतीश कुमार राज्य में रामायण सर्किट और समग्र पर्यटन के विकास पर नज़र गड़ाए हुए हैं और सीतामढ़ी के विकास के लिए काफी समय से वकालत कर रहे हैं।”