बिहार एक राजनीतिक संकट में फंसता नजर आया जब सत्तारूढ जदयू ने नीतीश कुमार को पार्टी विधायक दल का नया नेता चुन लिया जबकि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बागी तेवर दिखाते हुए अपने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया और हो सकता है कि पद पर बने रहने के लिये वह भाजपा का सहयोग लें।
इस सारे घटनाक्रम से बेपरवाह मांझी ने विधानसभा भंग करने का असफल प्रयास किया और कैबिनेट की बैठक में पेश उनके इस आशय के प्रस्ताव को खारिज करने वाले 21 मंत्रियों में से 15 को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से करने के बाद वह नीति आयोग की बैठक में भाग लेने के लिये दिल्ली रवाना हो गये।
मांझी के करीबी मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि जल्दी ही मांझी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जायेगा और अगर जरूरत पड़ी तो इसमें भाजपा की सहायता ली जायेगी।
इससे पूर्व मांझी के इस्तीफा देने से इंकार करने के बाद उन्हें दरकिनार करते हुए पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने जदयू विधायक दल की बैठक बुलायी जिसमें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इस बैठक में जदयू के 111 विधायकों में से 97 और 41 विधान पार्षदों में से 37 ने भाग लिया।
यादव ने राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से मिलने का समय मांगा। राज्यपाल के सोमवार सुबह पटना लौटने पर यादव के उनसे भेंट कर नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू सरकार बनाने का दावा पेश करने की संभावना है। यादव ने कहा कि 243 सदस्यीय विधानसभा में नीतीश कुमार को 130 जदयू विधायकों का समर्थन हासिल है।
उधर बगावती तेवर अपनाये मांझी ने 15 और मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी। इससे पहले वह दो अन्य मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश कर चुके हैं। मांझी के करीबी मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि जल्दी ही मांझी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जायेगा और अगर जरूरत पड़ी तो इसमें भाजपा की सहायता ली जायेगी।
इससे पूर्व मांझी के इस्तीफा देने से इंकार करने के बाद उन्हें दरकिनार करते हुए पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने जदयू विधायक दल की बैठक बुलायी जिसमें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इस बैठक में जदयू के 111 विधायकों में से 97 और 41 विधान पार्षदों में से 37 ने भाग लिया।
नीतीश कुमार से सुलह के अंतिम प्रयास विफल होने के बाद मांझी ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का असफल प्रयास किया। वित्त मंत्री बिजेन्द्र यादव ने बताया कि मांझी ने कैबिनेट की बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से करने संबन्धी एक प्रस्ताव पेश किया जिसे मुख्यमंत्री के अलावा केवल सात मंत्रियों ने समर्थन दिया जबकि नीतीश समर्थक 21 मंत्रियों ने इसका विरोध किया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मांझी ने 15 कैबिनेट मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से की है। उनका विरोध करने वाले 20 मंत्रियों में से जिन पांच मंत्रियों को उन्होंने बख्श दिया वे हैं, दुलाल चंद गोस्वामी, रमई राम, राम लखन राम रमन, मनोज कुमार सिंह और नौशाद आलम।
जदयू महासचिव के सी त्यागी ने प्रेस ट्रस्ट से कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है और उनके सोमवार सुबह तक पटना पहुंचने की उम्मीद है।
राज्यपाल के पटना पहुंचने पर यादव उनसे भेंट कर नीतीश के नेतृत्व में सरकार गठन का दावा पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा भंग करने की सिफारिश को खारिज करने वाले मांझी मंत्रिमंडल के 21 सदस्य उसी दिन राज्यपाल से भेंट करेंगे और उन्हें मांझी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा सौंपेंगे।
इससे पूर्व दिन में राजधानी पटना में मांझी समर्थकों ने विधानसभा के प्रवेश द्वार पर और गया एवं मुजफ्फरपुर में धरना दिया। नीतीश समर्थकों ने भी पटना में उनके पक्ष में रैली निकाली और नारे लगाये।
उधर मांझी के मुख्य सलाहकार माने जा रहे मंत्री नरेन्द्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि जल्दी ही मांझी मंत्रिमंडल का विस्तार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे सरकार चलाने के लिये भाजपा से सहयोग लेंगे।
वर्ष 1974 के जेपी आंदोलन के समय से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के मित्र रहे सिंह ने कहा कि शरद यादव द्वारा बुलाई गयी बैठक की कोई वैधता नहीं है। हम ही असली जदयू हैं।
बागी तेवर अपनाये मांझी के विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के विफल प्रयास के कुछ ही देर बाद यह बैठक हुई और नीतीश को नया नेता चुन लिया गया। मांझी ने हालांकि इस बैठक को अवैध बताया और 20 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलायी है।
इससे पूर्व मांझी और नीतीश कुमार गुट के बीच सुलह सफाई का आखिरी प्रयास किया गया था लेकिन वह विफल रहा। अपने चयन के बाद नीतीश ने कहा कि वह सरकार बनाने के लिए दावा पेश करेंगे और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लडाई को तार्किक परिणति तक पहुंचाएंगे।
नीतीश ने कहा कि बहुमत उनके पास है और जरूरत पड़ने पर अपने संख्या बल की राज्यपाल के समक्ष परेड भी करा देंगे। उन्होंने कहा कि राजद, कांग्रेस और भाकपा का उन्हें समर्थन पत्र प्राप्त है।
नीतीश कुमार ने कहा कि कैबिनेट की बैठक के दौरान मांझी और उनके सात समर्थक मंत्रियों का बिहार विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का प्रस्ताव बहुमत का निर्णय नहीं है और पार्टी अध्यक्ष ने राज्यपाल को इस बारे में सूचित कर दिया है और इस सिफारिश को नहीं मानने का अनुरोध किया है।
मांझी द्वारा बीती रात्रि बर्खास्त किए गए नीतीश समर्थक दो मंत्रियों में से एक पी के शाही ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को फैक्स किए गए उक्त पत्र की प्रति पत्रकारों को उपलब्ध करायी।
शरद यादव ने कहा कि जदयू के 130 विधायक एवं विधान पार्षद नीतीश कुमार के पक्ष में हैं। जदयू की इस बैठक के लिए उसके कुल 111 विधायकों और 41 विधान पार्षदों को नोटिस भेजा गया था जिसमें नीतीश और मांझी शामिल थे।
बैठक में मांझी और उनका समर्थन करने वाले सात मंत्रियों और कुछ अन्य विधायकों और विधान पार्षदों ने भाग नहीं लिया।
मांझी ने इस बैठक को ‘अनधिकृत’ बताते हुए आगामी 20 फरवरी को अपने आवास पर विधायक दल की बैठक बुलायी थी।
इससे पूर्व बिहार के संसदीय कार्य मंत्री तथा विधानसभा में जदयू विधायक दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने बताया कि आगे की रणनीति तय करने के लिए विधायक दल ने नीतीश कुमार को अधिकृत किया है।
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान में जदयू के 111, भाजपा के 87, राजद के 24, कांग्रेस के 5, भाकपा के।, पांच निर्दलीय विधायक तथा 10 रिक्त हैं।