बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के स्थान पर जद (एकी) विधायक दल के नए नेता चुने गए नीतीश कुमार ने माना कि मांझी को अपना उत्तराधिकारी चुनकर उन्होंने गलती की।

पटना में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, ‘मांझी ने स्वयं ही कहा था कि मेरी मती मारी गई थी कि मैंने उन्हें चुना।’ नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे को सही ठहराते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने ऐसा किया था लेकिन, अपना उत्तराधिकारी चुनने का उनका निर्णय गलत साबित हुआ।

यहां अपने आवास पर जद (एकी) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी और श्याम रजक की मौजूदगी में नीतीश ने कहा, ‘मैंने उन्हें (मांझी) नियुक्त किए जाने का निर्णय अच्छी मंशा से किया था हालांकि आठ महीने में ही यह गलत साबित हुआ।’ नीतीश ने मांझी के उन आरोपों का उत्तर देने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया है कि वे ‘सत्ता के भूखे’ हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे उस स्तर तक नहीं ले जाएं जहां मुझे ऐसे व्यक्ति के आरोपों का उत्तर देना पड़े।’

नीतीश ने कहा कि मांझी की नियुक्ति के दो से तीन महीने के बाद ही उन्हें मांझी और उनके समर्थकों की गतिविधियों के बारे में लोगों व पार्टी कार्यकर्ताओं से सूचना मिलने लगी थी। उन्होंने कहा, ‘हर दिन उन्हें बताया जा रहा था कि सुशासन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जो कुछ पिछले साढे आठ वर्षों में किया गया अगर उस पर कोई पानी फेरने की कोशिश करे तो वह उन्हें स्वीकार्य नहीं हो सकता था। मेरे पास कोई पसंद नहीं थी, मगर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के अनुरोध पर नेतृत्व स्वीकार करना पड़ा।’

उन्होंने कहा कि इस चुनौती को वह पूरे मन से स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी पूरी क्षमता और लगन के साथ नेतृत्व प्रदान करेंगे और भाजपा को उसकी ‘चाल’ (इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने का) में कामयाब नहीं होने देंगे।