जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां आरोप लगाया कि बिहार में वर्तमान ‘राजनीतिक अनिश्चितता’ के माहौल के लिए भाजपा जिम्मेदार है।

नीतीश ने यहां एक निजी क्षेत्रीय समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में बिहार में वर्तमान ‘राजनीतिक अनिश्चितता’ के माहौल के लिए भाजपा और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया तथा आरोप लगाया कि सब कुछ भाजपा की सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता सच और हमारे साथ है और सारे साजिशकर्ताओं को समय आने पर करारा जवाब देगी।

नीतीश ने कहा कि बिहार भाजपा के जो नेता कल तक मांझी सरकार को कोस रहे थे और बिहार में जंगलराज का आरोप लगा रहे थे, वे अब अचानक मांझी सरकार के गुप्त समर्थक हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी प्रकार राजभवन में मुलाकात के दौरान जदयू के तर्कों से सहमत दिखने वाले राज्यपाल ने इससे एकदम उलट वही सब आदेश दिए जो सब दिल्ली में मांझी ने प्रधानमंत्री से मिलने के बाद प्रेस वार्ता में कहा था।

नीतीश ने आरोप लगाया कि कि मांझी सरकार को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए इतना लंबा समय देने का मकसद ही है कि खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देना और राज्य में अनिश्चितता का माहौल पैदा करना।

नीतीश ने आरोप लगाया कि भाजपा की कोशिश है कि वर्तमान अनिश्चितता के माहौल का फायदा उठाकर राज्य में अराजकता को बढावा दे तथा उनकी इच्छा है कि किसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को 20 फरवरी को विश्वासमत वाले दिन सदन की अध्यक्षता करने से रोकना। इसके लिए वे कोई भी तिकड़म करने को तैयार हैं। उन्होंने मांझी द्वारा लिए जा रहे फैसलों को भी इन सबकी मिलीजुली साजिश बताया।

नीतीश से भाजपा नेताओं और मांझी द्वारा उन पर किये जा रहे व्यक्तिगत हमलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इससे भी इन सबका चरित्र उजागर होता है।

नीतीश ने स्वीकार किया कि उनसे जुडे या उनके द्वारा आगे बढाये गये कई लोग बाद में उन्हें छोडकर अलग हो गए। वह व्यक्ति के गुणों को पहचान कर उसे अपने से जोड़ते हैं, बाद में वह घात करें तो उनकी पहचान करने में दोष है।

उन्होंने बिहार के वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम को अपनी पार्टी जदयू के लिए नुकसान की बजाय फायदेमंद बताते हुए कहा कि इससे पार्टी विरोधी लोगों की छंटनी हो रही है।

नीतीश ने कहा कि विरोध और घात का मन रखने वाले लोग पार्टी में रहकर माहौल बिगाड़ने की कोशश करें इससे अच्छा है कि पार्टी से बाहर हो जाएं। पार्टी के कार्यकर्ता और दूसरे नेता काफी समय से इसकी मांग भी कर रहे थे।

नीतीश ने आगामी 20 फरवरी को आहूत विधानसभा की बैठक में जदयू विधायकों के विपक्ष में बैठने के फैसले को सही बताते हुए याद दिलाया कि प्रदेश में राजग (जदयू-भाजपा) शासन काल के दौरान राजद मुख्य विपक्षी पार्टी थी और अब्दुल बारी सिद्दीकी विपक्ष के नेता थे। जब भाजपा अलग हुई तब वह मुख्य विपक्षी पार्टी बन गयी और उसके ही लोग दोनों सदनों में विपक्ष के नेता हो गए।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार जदयू अब मांझी सरकार से अलग है और दोनों सदनों में हमारे ही सदस्यों कि संख्या सर्वाधिक है, इसलिए मुख्य विपक्षी पार्टी अब जदयू हो जाएगी तथा हमारे ही लोग दोनों सदनों में विपक्ष के नेता होंगे।

यह पूछे जाने पर कि मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपकर आपने मैदान क्यों छोडा, नीतीश ने कहा कि उन्होंने मैदान नहीं केवल पद छोडा था। लोकसभा के चुनाव परिणाम विपरीत आने के कारण यह समझ में आया था कि प्रदेश के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जाने की जरुरत है यह भावनात्मक फैसला था और उन्होंने वही किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वे तो पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे, संपर्क यात्राएं की।

नीतीश ने कहा कि हालांकि सभी जगह से मांझी सरकार की शिकायतें मिल रही थीं और मुख्यमंत्री पद छोड़ने के उनके फैसले से कोई सहमत नहीं था। पार्टी और पूरे प्रदेश का नुकसान हो रहा था तब लगा कि फैसला सुधारना होगा।